बातें ::
जॉर्ज सेफेरिस
से
एडमंड कीले
अनुवाद : विपिन चौधरी

जॉर्ज सेफेरिस से यह साक्षात्कार उस वक्त लिया गया था, जब वह सयुंक्त राष्ट्र अमेरिका में अपने सबसे लंबे प्रवास के अंतिम दिनों में थे. वे दिसंबर 1968 के आखिरी दिन थे. उन्होंने प्रिंसटन के ‘उच्च अध्ययन संस्थान’ के सदस्य के रूप में तीन महीने की अवधि पूरी कर ली थी और वह खासतौर पर बढ़िया मूड में थे, क्योंकि वह महसूस कर रहे थे कि यह यात्रा उनके लिए नया यौवन लेकर आई है. इस अंतराल के दौरान एथेंस में पिछले महीने से बने हुए राजनीतिक तनाव से उन्होंने मुक्ति पाई और उन्हें ध्यान से काम करने का अवसर मिला. इस यात्रा के दौरान हार्वर्ड, प्रिंसटन, रटगर्स, पिट्सबर्ग, वाशिंगटन डी.सी. और अमेरिका के वाई.एम.एच.ए. कविता-केंद्र में रचना-पाठ की एक सीरीज भी शामिल थी.

यह साक्षात्कार ‘उच्च अध्ययन संस्थान’ में सेफेरिस के अस्थायी घर में लिया गया था. तीन कमरों वाली दूसरी मंजिल में, मैदान की अनदेखी करते हुए बड़ी-सी खिड़की, किताबों की लगभग खाली अलमारी वाले बेहद सादे घर में, आधुनिक यूनानी चित्र या शास्त्रीय खजाने की कोई कलाकारी नहीं थी जो सेफेरिस के एथेंस वाले घर की वकालत कर सके. फिर भी वह उस जगह से खुश थे, क्योंकि उन्हें बहुत-सी विदेशी चीजें देखने को मिल रही थीं : मसलन दूसरी तरह के पेड़, गिलहरियां तो कभी स्कूल से लौटकर मैदान पार करते बच्चे. उनकी बीवी मैरो की अभी भी सुनहरे बालों वाली चोटी थी. पूरे साक्षात्कार के दौरान वह उपस्थित रहीं, कभी बातें सुन मुस्कुराती तो कभी पृष्ठभूमि में जाकर भोजन या पेय पदार्थों या कुछ खाने-पीने की तैयारी करती रहीं.

Giorgos Seferis
जॉर्ज सेफेरिस

मैं शुरुआत करता हूं— हाल ही में राजनयिक सेवा से निवृत्त होने, एक विद्यार्थी के रूप में नए करियर की शुरुआत करने और उच्च शिक्षा अध्ययन में आकर आपको कैसा लग रहा है, यह पूछते हुए…?

मेरे प्रिय, यह समस्या मुझे उलझन में डाल रही कि मेरी उम्र में आकर उच्च शिक्षा की बात करते समय क्या किसी व्यक्ति को पहले का पढ़ा हुआ भूल जाना चाहिए, या और आगे पढ़ना चाहिए? अब एक नीरस स्तर पर आकर मुझे कहना चाहिए कि मैं यहां के माहौल का पूरा आनंद उठा रहा हूं, क्योंकि यहां के लोग बड़े अच्छे हैं, अच्छे दोस्त हैं, उनके ज्ञान की सीमा को मैं किस तरह से परिभाषित करूं? यहां मेरे चारों ओर विज्ञान, इतिहास, पुरातत्व, धर्मशास्त्र, दर्शन इत्यादि कई तरह के क्षितिज हैं.

लेकिन आप इतने सारे वैज्ञानिकों और ढेरों इतिहासकारों के बीच स्वयं को अलग महसूस तो नहीं कर रहे?

नहीं, क्योंकि मैं उन लोगों के प्रति आकर्षित रहता हूं जिनकी रुचियां मेरे कार्यक्षेत्र से भिन्न हैं.

आप क्या सोचते हैं कि इसका फायदा है, जैसा कि मुझे लगता है, कवाफी ने भी शायद इतिहासकारों के साथ बातचीत करते हुए ऐसा सोचा होगा? दूसरे शब्दों में क्या आपको लगता है कि इतिहास के पास कवि को संबोधित करने के लिए कुछ खास है?

यदि आपको याद हो, कवाफी अपने इतिहास-बोध पर गर्व करते थे. ‘मैं इतिहास का आदमी हूं’, वह कुछ ऐसा कहा करते थे. सटीक उद्धरण मुझे याद नहीं. मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं, लेकिन फिर भी मैं इतिहास के दबाव को महसूस करता हूं. दूसरे शब्दों में, शायद यह दबाव बहुत पौराणिक, अधिक सारगर्भित और ठोस है, मैं नहीं जानता.

एक ग्रीक कवि के अपनी विशेष ऐतिहासिक परंपरा से कैसे संबंध हैं? एक बार आपने कहा था कि ग्रीस में कोई प्राचीन ग्रीस नहीं है. वास्तव में इसके क्या मायने हैं?

मेरा मतलब है, ग्रीस एक सतत प्रक्रिया है. अंग्रेजी में ‘प्राचीन ग्रीस’ उक्ति का अर्थ है— ‘समाप्त हो जाना’. जबकि ग्रीस चाहे वह अच्छा हो या बुरा, वह हमारे जीवन में है और अभी समाप्त नहीं हुआ है. यह सच्चाई है. जब ग्रीस उच्चारण के बारे में कहीं चर्चा हो, तब यही तर्क देना चाहिए.

आपके अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस के विद्वान लचीले और जिंदादिल उच्चारण को अपनाने में सही हो सकते हैं. उनके लिए ग्रीस भाषा एक मृत भाषा है, लेकिन हमारे लिए इसकी एक अलग कहानी है. यह सच्चाई आप लोगों को माननी होगी कि प्राचीन ग्रीक ने एक निश्चित बिंदु पर आकर अपना काम खत्म कर दिया था. यही वजह है कि आप ग्रीक के बारे में ऐसा कह रहे हैं. इस मनमाने तरीके पर मुझे पछतावा होता है. उदाहरण के लिए, गिब्बन (अंग्रेज इतिहासकार) की मान्यता है कि एक हजार साल के बाद जीवन में गिरावट आएगी. एक हजार साल के बाद लोगों में गिरावट कैसे संभव है? ईसा मसीह के जन्म और होमरकालीन कविताओं के बीच आठ सौ या इतने ही वर्ष गुजर गए— संभवतः गिरावट हजार वर्ष की ही थी.

एक ग्रीक कवि की परंपरा के संबंध में प्रश्न करते हुए मुझे हमेशा लगता है कि एक ग्रीक कवि को अपने एंग्लो-सेक्सन, समकक्षों के बजाय इतना तो लाभ मिला ही है कि एक ग्रीक कवि अपनी रचनाओं में पौराणिक कथाओं और ग्रीक परिदृश्यों का प्रयोग करता है. मुझे याद है कि कई बरस पहले जब मैं थीसिस लिख रहा था, तब मुझे कवाफी और सेफेरिस की कविताओं में अंग्रेजी का प्रभाव लगता था. एक बार मैंने आपसे उन दृश्यों के बारे में पूछा था जिन्हें आप अपने परिदृश्य में रोप देते हैं. उदाहरण के तौर पर मैंने आपकी रचनाओं में इस्तेमाल की गई प्रतिमाओं के प्रतीकात्मक अर्थों के बारे में पूछा था. तब आपने मेरी तरफ घूमते हुए कहा था, ‘‘लेकिन वे असली प्रतिमाएं हैं.’’ किसी प्राकृतिक परिदृश्य में मैंने इन्हें देखा था. मेरा सोचना यह है कि आपका कहना यह था कि आप हमेशा जीवित तथ्यों को लेकर अपना काम शुरू करते हैं, तब उसकी वास्तविक स्थापना करते हैं और फिर उसमें समाहित सार्वभौमिक सत्य की खोज करते हैं.

इस प्रश्न का दृष्टांत शास्त्रीय मूर्तियों के अंग्रेज विशेषज्ञ की तरफ से आया था जो एक बार पार्थेनन की प्रस्तर कला पर व्याख्यान दे रहे थे, उनके व्याख्यान के बाद मैं उन्हें बधाई देने ऊपर मंच पर गया. जहां तक मुझे याद है, उन्होंने मुझे कहा था, ‘‘आपकी वह पंक्ति ‘स्थितियां खंडहर नहीं, हम खंडहर हैं’ मेरे आशय को अभिव्यक्त करती है.’’ मैं हैरान था कि उन जैसा विद्वान किसी एक बिंदु का वर्णन करने के लिए मेरी ही एक पंक्ति का उपयोग कर रहा था.

एक कवि अपने बचपन की कल्पना से जो कुछ प्राप्त करता है, उसके बारे में हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं. आपने एक बार आम अंग्रेज से अपनी तुलना करते हुए यह बताया था कि गधे आपके लिए वही काम करते हैं जो फुटबाल और गाड़ी उनके लिए करती है. मुझे याद है कि एक बार आपने समुद्र और स्मिर्ना के पास अपने पैतृक गांव के नाविकों के बारे में बताया था.

आप जानते हैं कि कल्पना के बारे में अजीब बात यह है : वह अवचेतन मन का सौदा है. कोई नहीं जानता कि कब वह कविता के रूप में प्रकट हो जाती है. लेकिन यह तय है कि वह कवि के अवचेतन मन में समाई रहती है, और यही कारण है कि बचपन, कवि के जीवन में एक निर्णायक भूमिका निभाता है. मुझे यह भी लगता है कि कवि के अवचेतन जीवन में निहित कल्पनाएं अक्सर बचपन पर आधारित होती हैं और यही कारण है कि एक कवि के लिए उसका भोगा हुआ बचपन निर्णायक होता है. मैं समझता हूं कि दो भिन्न चीजें काम करती हैं— चेतन और अवचेतन स्मृति. कविता का रास्ता अवचेतन से निकलता है. यह आपके संस्मरण लिखने के तरीके जैसा नहीं है कि आप अपने शुरुआती जीवन को याद करते हुए अपने अतीत को लिखें.

मुझे अपने बचपन की बहुत-सी चीजें याद हैं जिन्होंने मुझे प्रभावित किया. उदाहरण के लिए, जब मैं बच्चा था तब गर्मियों के दिनों में हम, मेरी दादी के बंगले में मौजूद बगीचे में अपना समय गुजारा करते थे. वहां एक जहाज में मुझे एक परकार मिला था. बाद में मुझे पता चला कि वह परकार मेरे दादा का था. मेरे लिए वह पौराणिक वस्तु था. उस अजीब यंत्र को मैंने बार-बार परख कर, फिर जोड़कर, फिर अलग करके उसे खत्म कर दिया.

शरद ऋतु आने पर बहुत तेज हवा चलती. ऐसे खराब मौसम में भी मछुआरे मछलियां पकड़ने निकल जाते. जब वे वापस आकर लंगर डालते तब हम सब खुश हो उठते. मेरी मां उन बाहर से लौटकर आए हुए मछुआरों में से किसी एक को कहतीं, ‘‘ओह, शाबास इस खराब मौसम को पार कर तुम वापस आ गए.’’ इसके जवाब में वे कहते, ‘‘मैडम आप जानती हैं कि हम हमेशा भूतों को अपने साथ में लेकर चलते हैं.’’ यह सुन मुझे बहुत दुःख होता. जब मैंने यूलिसिस के बारे में अपनी पहली कविता (‘अपॉन अ फॉरेन वर्स’) — जिस पर आपने टिप्पणी की थी — लिखी थी, तब शायद मेरे दिमाग में कोई मछुआरा ही रहा होगा और अपने बचपन के वे बूढ़े नाविक जो इरोटोकरीटोस (संगीत) सुनाते थे.

मुझे लगता है कि अवचेतन मन की छवियों को जगाकर उन्हें प्रकाश में लाना हमेशा जोखिम से भरा होता है, क्योंकि आप जानते हैं कि वे जल्दी ही सूख जाती हैं.

इतने वर्षों से एक छोटे से श्रोता वर्ग के लिए लिखते हुए क्या आपको बोरियत नहीं होती? आपके लेखन के शुरुआती दिनों में आपके पाठक इतने कम थे कि आपको प्रत्येक खंड की तीन सौ प्रतियां अपने खर्च पर ही निकालनी पड़ती थीं? एक स्थापित अमेरिकी कवि के लिए स्थितियां काफी भिन्न होती हैं.

मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. जब मैंने ‘स्ट्रोफी’ (द टर्निंग प्वाइंट) का पहला खंड प्रकाशित करवाया, तब मैंने उसकी 150 प्रतियां प्रकाशित कीं. वह 1931 में प्रकाशित हुआ और मुझे याद है कि 1939 में भी पुस्तक विक्रेता के पास उसकी प्रतियां उपलब्ध थीं, लेकिन मैंने उन प्रतियों का वितरण रोक कर उन्हें वापस ले लिया था, क्योंकि मैं 1940 में एक नया संस्करण ला रहा था. लेकिन मैं कह सकता हूं कि जल्द ही स्थितियां बदल गई थीं. जर्मनी के खिलाफ युद्ध में ग्रीस के पतन के बाद जब मैंने मिस्र छोड़ दिया था, ‘सिस्टर्न’ और ‘स्ट्रोफी’ के खंडों के अलावा मैंने ‘लॉग बुक-1’, ‘मिथिस्ट्रेमा’ और ‘बुक ऑफ एक्सेर्सिस’ के संस्करण वहां छोड़ दिए थे. ग्रीक सरकार के निर्वासन के बाद क्रेते और काहिरा के लिए रवाना होने से पहले उनकी एक भी कॉपी नहीं बिकी थी, लेकिन मेरी अनुपस्थिति में सभी प्रतियां बिक गईं. मेरे वापस आने पर एक भी प्रति शेष नहीं थी. विदेश और दुश्मनों के आधिपत्य ने ग्रीक जनता को एकाग्रता और पढ़ने का मौका उपलब्ध करवाया और मुझे लगता है कि लौटने के बाद मैं ग्रीस में पहले से ज्यादा पहचाना जाने लगा.

यह एक बहुत ही अजीब घटना है, आक्रमण की अवधि के दौरान ग्रीस में कविता के प्रति रुचि का पुनरुद्धार हुआ. उदाहरण के तौर पर मैंने अन्य कवियों गटसोस और एलाइटस से इस बारे में सुना है कि कविता एक ऐसी गतिविधि बन गई थी जिसने अथीनियन बुद्धिजीवियों को पढ़ने और चर्चा करने के लिए एकजुट किया. तीस के दशक के बाद वह सदी कविता के लिए शानदार समय बन गई थी.

एलाइटस और गटसोस (ग्रीस के रोमांटिक कवि) ने आक्रमण के दौरान अपनी पुस्तकें प्रकाशित करवाईं. मेरा मतलब है, उस दौरान अमोरगोस (ग्रीस का एक द्वीप) से प्रसिद्ध लोग बाहर आए.

आक्रमण के बाद क्या हुआ? वहां के प्रमुख कवियों के बीच इतने लंबे समय तक मौन क्यों रहा?

यह मौन नहीं था. समय बदल गया था और क्षितिजों का विस्तार हो रहा था. अभिव्यक्ति के नए तरीके खोजने की कोशिश में सभी लोग देश से बाहर जीवन तलाशने में जुट गए थे.

मुझे आश्चर्य होगा अगर आपको इस देश के सार्वजनिक दर्शकों के बीच पढ़ते हुए कुछ नया और दिलचस्प लगा. प्रमाण के तौर पर मेरे एक दोस्त जिन्हें ग्रीस की जानकारी बिल्कुल नहीं है, वह आपके ग्रीस में कविता पढ़ने पर एक अलग भावना पाते हैं जो उन्हें मेरे अंग्रेजी के पाठ में नहीं मिलती.

यह काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन अमेरिका में अपने कविता-पाठ के अनुभव के बारे में मैं कुछ और बताना चाहूंगा. अमेरिका में मेरे कविता पढ़ने के दूसरे दिन एक कवि ने मेरे कविता-पाठ पर लिखी अपनी कविता के जरिए प्रतिक्रिया व्यक्त की. वह एक नई तरह की प्रतिक्रिया थी. लेकिन फिर भी, प्रतिक्रियाओं पर गौर करना महत्वपूर्ण बात है— सराहना करना या सराहना का न मिलना नहीं.

इस बार पतझड़ के दिनों में रटगर्स में आपकी कविता पढ़ने के बाद जब एक दर्शक ने आपसे आपकी कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद के बारे में पूछा, तब आपने अंग्रेजी अनुवादों के बारे में कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं. लेकिन तब आपने उसमें यह भी कहा था, ‘‘बेशक मेरी कविता का सबसे अच्छा अनुवाद चीनी भाषा में है, उस भाषा में जिसकी मुझे बिल्कुल समझ नहीं.’’

इसका विस्तार करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि मुझे लगता है जिन भाषाओं को मैं जानता हूं, उन्हें मैं महसूस करता हूं… उन पर प्रकाश डालना मुश्किल नहीं है. जैसे अंग्रेजी और फ्रेंच मैं अच्छी तरह से जानता हूं, उनमें और संभावनाएं हैं. चीनी भाषा में मेरे लिए कुछ संभव नहीं है. सवाल को थोड़ा बदलते हुए मैं कहना चाहता हूं कि अनुवाद करना बड़ा दिलचस्प है, क्योंकि यह स्वयं की भाषा को नियंत्रित करने का साधन है. बेशक, अंग्रेजी हमारी भाषा से अधिक स्थिर है.

एजरा पाउंड ने कहा है कि एक लेखक को अपनी भाषा में पैनापन लाने के लिए लगातार अनुवाद करते रहना चाहिए. इसलिए उन्होंने युवा कवियों को सलाह दी कि वे ज्यादा से ज्यादा अनुवाद करें.

मुझे लगता है कि ऐसा करना हमेशा से फायदेमंद रहा है. बशर्ते, यह बहुत अधिक न हो.

आप उस भाषा में लिखते हैं, जिसे ग्रीस से बाहर बहुत कम लोग जानते हैं. मुझे हैरानी होगी यदि आप इस तथ्य के प्रति अप्रसन्नता व्यक्त करेंगे कि कविता के संसार में आपको अपने देश से बाहर अनुवाद के जरिए ही जाना गया है.

इसके कई मुआवजे भी मिलते हैं. उदाहरण के लिए, एक साल पहले मुझे किसी अमेरिकी द्वारा लिखा पत्र मिला, जिसमें लिखा था कि मैंने सेफेरिस को पढ़ने के लिए ग्रीक भाषा सीखी. अब यह कितनी बड़ी बात है न. मैंने अन्य लोगों को यह कहते सुना है, ‘‘ठीक है. आप जानते हैं, हम ग्रीस को जानने के लिए आपकी कविताएं पढ़ते हैं.’’

यह अपने आपमें बहुत बड़ा तोहफा है. और फिर शायद — मैं जोड़ना चाहूंगा — बहुत ज्यादा ऑडिएंस न होने की स्थिति ही अच्छी है. मेरा मतलब है कि एक तरह से यह आपको शिक्षित करता है. यह जरूरी नहीं कि इस संसार में ज्यादा पाठक होना ही आपकी पहचान और तारीफ का तरीका है. सिर्फ तीन व्यक्ति ही समझें और केवल मुझे पढ़ते हों, यही काफी है.

यह मुझे उस वार्तालाप की याद दिलाता है जो मैंने मिचौक्स की एक झलक देखने के तुरंत बाद किया था. जहां तक मुझे याद है, यह उस समय की बात है जब वह मिस्र से आते समय एक बार एथेंस में रुके थे. जब उनका जहाज पिरायुस पर था, तब वह एक्रोपोलिस को एक नजर देखने के लिए आए थे और उन्होंने मुझे उस मौके पर बताया था, ‘‘क्या तुम जानते हो, अगर एक लेखक का सिर्फ एक पाठक है तो वह लेखक नहीं है, अगर उसके पास दो पाठक हैं तब भी वह लेखक नहीं है, लेकिन अगर एक लेखक के पास तीन पाठक हैं तो वह वाकई में एक लेखक है.’’ इस तरह उन्होंने ‘तीन पाठकों’ को तीन लाख के बराबर बताया.

आपने पहले कहा था कि ग्रीक भाषा की स्थापना में ही कोई समस्या है. यही कारण है कि ज्यादातर अमेरिकी पाठक स्वाभाविक रूप से इसे समझ नहीं पाते. हमेशा से हमारी समस्या यह है कि हमारी जो भाषा है, उसमें लचक हो, ताकि उसमें नई जीवनी-शक्ति पैदा हो सके. जब हम एक भाषा गढ़ने या उसे स्थापित करने के बारे में बात करते हैं, तब उसका मतलब काफी अलग होता है.

हमारे यहां शैक्षणिक हस्तक्षेप की आफत है. आप शायद जानते हों, शुरू के समय में उत्तर और दक्षिण दोनों ओर से. शुरू में इस पर प्रोफेसरों का हस्तक्षेप हुआ करता था जो हमारी बोलचाल की भाषा को किसी मूर्त रूप में परिवर्तित करने के लिए इसे शुद्ध भाषा के ‘विचार’ तक पहुंचाना चाहते थे. दूसरी तरफ हमडेमोतिकी (अनौपचारिक ग्रीक भाषा) के लिए लड़ रहे थे, जिसे हम बोलचाल की प्रसिद्ध भाषा कहते हैं. लेकिन यह पेशेवर परंपरा इतनी मजबूत है कि उसके पीछे किसी तरह का अकादमिक दिमाग है जो शुद्ध और स्थानीय भाषा दोनों के लिए लड़ रहा है.

इसके उत्थान का सबसे बेहतर तरीका यही है कि समग्र शैक्षणिक हस्तक्षेप को भुला दिया जाए. उदाहरण के तौर पर मैं क्रेतन (नवजागरण, वह स्वर्णिम दौर जब साहित्य और कला दोनों खूब उन्नति पर थे) को बहुत पसंद करता हूं. आपको उस समय में लिखी दस हजार पंक्ति की एक लंबी कविता मिल जाएगी जिसे पढ़ते वक्त आप पर कोई तनाव नहीं पड़ेगा, आपको कोई प्रयास नहीं करना पड़ेगा, भाषा स्वाभाविक रूप से काम करेगी और बिना किसी गंभीर प्रवृत्ति के उसे आप सीख लेंगे.

यह रोचक है कि आप एक आसान कविता को प्रतिमान के रूप में लेते हैं, क्योंकि मुझे याद है किसी अन्य संदर्भ में आपने बताया था कि खुद को व्यक्त करने में शैली की कठिनाई किसी को भी आ सकती है.

आप जानते हैं, मक्रियान्निस (यूनानी व्यापारी, सैन्य अधिकारी, राजनेता और लेखक) के बारे में भाषण देते वक्त मैंने इसका जिक्र किया था. पैंतीस साल तक उन्हें लिखना और पढ़ना नहीं आता था. जब आप उनकी पांडुलिपि को देखते हैं, वह एक दीवार की तरह दिखती है, ऐसी दीवार जो पत्थरों से बनी हुई है, जिसमें एक के ऊपर एक पत्थर रखे हुए हैं. यह बहुत अजीब-सी बात है. उदाहरण के तौर पर वह कभी विरामचिन्ह का प्रयोग नहीं करते, कोई अनुछेद नहीं बनाते, कुछ भी नहीं. सब ऐसे ही चलता है… और आप देखते हैं कि एक शब्द दूसरे शब्द के साथ इस तरह से जुड़ जाता है, जैसे एक पत्थर के ऊपर दूसरा पत्थर रखा जा रहा है. मेरा मतलब है कि किसी संदर्भ में जब आप वाकई में कुछ महसूस करते हैं, तो आप उसे व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं और आखिर में वह आपकी शैली बन जाती है.

अपनी खुद की शैली स्थापित करने में आपको किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है?

यह एक दूसरी कहानी है. अपनी युवावस्था में मैं ग्रीक भाषा की शब्द-सूचियां, पुराने ग्रंथों, मध्ययुगीन ग्रंथों और इस तरह की दूसरी चीजों पर बहुत ज्यादा काम किया करता था, लेकिन कठिनाई उन्हें पढ़ने में नहीं, उन्हें भूलने और उनके स्वाभाविक बने रहने में आती है. शायद मेरे पास प्राकृतिक बने रहने का एक बड़ा आशीर्वाद है. दूसरों को बताने के लिए शायद मेरे पास यही एक जवाब है.

मैं जानता हूं आपने हमेशा से इस पहल के लिए प्रयास किया है कि कवि की शैली को अर्थ की व्यवस्था के मुताबिक व्यापार करना चाहिए, यह आपके पूर्ववर्तियों — विशेष तौर पर पाल्मास और सिकेलियनोस — के अंदाज से ठीक उलट है.

शायद यह स्थानीय विशेषता है. मैंने यह महसूस किया है कि ग्रीस में मेरे शुरुआती प्रयास काफी प्रतिक्रियावादी थे और इनके खिलाफ मैंने प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. वह मेरी भावना थी और कई मायनों में मैंने इसके खिलाफ अपने विचारों को प्रकट किया था. उदाहरण के लिए, शब्दों के इस्तेमाल के बारे में — खासकर मिश्रित विशेषण के — जिनको मैं नकारता था.

आप जानते हैं कि कुछ चीजों से बचना मेरे लिए लाजिमी हो जाता है. मेरी रुचि, भाषा के रंग में उतनी नहीं है जो कि ग्रीक में सबसे ज्यादा है. लेकिन सही होने के क्रम में ग्रीक सबसे ऊपर है, और सटीक होने के लिए आपको अपनी सामग्री के उपयोग में खाली रहना होगा. आपको याद होगा कि वैलरी ने कहा था— आखिरकार, प्रगीतवाद से ही विस्मयबोधक ‘आह’ का विस्तार हुआ है. मेरे लिए ‘आह’ काफी है. मैंने कभी इस विस्मयबोधक को विस्तृत करने की कोशिश नहीं की.

शैली की बात करें, तो मैं कहूंगा कि हमें भाषा का उपयोग संयम से करना चाहिए. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि आपने अपने काम में बहुत उन्नति की है, साधन की और अर्थ की व्यवस्था, छंद और वह सब कुछ जिसका शैली अनुसरण करती है?

हां, लेकिन आपको मालूम है कि मेरा संघर्ष हमेशा शुद्धता के लिए रहा है. मेरी बात का आधार यही है और निश्चित रूप से गद्य में यह अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होता है. मेरा मतलब है, यहां अल्प-व्यय का मामला है.

आपकी एक टिप्पणी — जो मुझे हमेशा आकर्षित करती है — वह कविता और सार्वजनिक सेवा के संबंध के बारे में है. मैं सोचता हूं, आपने कहा था कि एक कवि के लिए उस नौकरी में न होना आवश्यक है जो उसके कवि होने से न जुड़ी हो.

मैं इसे ‘जरूरी’ चीज नहीं मानता. सचमुच मैं नहीं जानता, क्योंकि मैं दूसरे लोगों के बारे में यह नहीं कह सकता. लेकिन कम से कम अपने लिए मैं समझता हूं कि किसी ऐसी नौकरी से न जुड़ना, जिसमें मुझे उस तरह से लिखना पड़े जैसा मैं अपनी किताबों और कविता-पुस्तकों में लिखता हूं, मदद करता है. उदाहरण के तौर पर, मैं कोई प्रोफेसर या शिक्षक और यहां तक कोई अखबारवाला भी नहीं हूं.

क्या आपके पेशेवर करियर में कुछ ऐसा था, जैसे कि एक राजनयिक के वे अनुभव, जिन्होंने आपकी कविता की कल्पना पर प्रभाव डाला हो या उन खास विषयों को प्रभावित किया हो, जिनको आपने स्वयं की अभिव्यक्ति के लिए चुना हो.

मैं नहीं समझता कि कोई विषय और कल्पना मेरी नौकरी से उपजे हों, हालांकि मैंने इसका उल्लेख किया है— आप ‘लास्ट स्टॉप’ की पंक्तियों की व्याख्या कैसे करेंगे— ‘सामान्य पापों से डरी हुई आत्माएं, अपने कार्यालयों को वैसे थामती हैं जैसे पक्षी अपने पिंजरों को.’ मेरा मतलब है कि यह कुछ उन कल्पनाओं में से हैं जो मैंने सीधे अपनी सार्वजनिक सेवा की नौकरी से ली हैं. लेकिन मैं यह भी महसूस करता हूं कि मैं राजनयिक सेवा में कभी नहीं था. मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि नौकरी मेरे रचनात्मक काम से बाधित नहीं होनी चाहिए और दूसरी बात यह है कि मैं इसे कैसे परिभाषित करूं कि मैं साहित्य से संबंध रखने वाले आदर्शों के साथ सौदा करने के लिए कभी बाध्य नहीं था.

इस पेशे के साथ दिक्कतें हैं. समय न मिलने की परेशानी सबसे प्रमुख है. जबकि दूसरों का मानना है कि समय का न मिलना अच्छा होता है, क्योंकि वह आपका अवचेतन है जो कविता रच रहा होता है. ये विचार टॉम एलियट के हैं. जब मेरा लंदन से बेरूत तबादला हुआ था. (यह लंदन में मेरी नौकरी के डेढ़ साल के बाद की बात है.) मैंने उन्हें कहा, ‘‘एलियट, मेरे दोस्त, मैं यह सोचता हूं कि मैं अपने पेशे से आजिज आ चुका हूं और मुझे यह सब छोड़ देना चाहिए.’’ मुझे उनका कहा याद है, ‘‘सावधान रहो, तुम जो कर रहे हो उससे सावधान रहो…’’ और तब वह अवचेतन का— कविता को रचने में अवचेतन के काम उल्लेख करने लगे. और मैंने उन्हें बताया कि अगर हमारे पास नौकरी है — एक सरकारी नौकरी — जो मेरे अवचेतन में व्यवधान पैदा करती हो, तब मैं नौकरी के न होने को महत्व देता. मेरा मतलब है कि मैं एक बढ़ई बनना पसंद करता ताकि मेरा अवचेतन मेरी पसंद को चुनने के लिए स्वतंत्र होता. मेरा मन नाचने या न नाचने को कहता तो मैं वही करता. मैं आपको बता सकता हूं कि कब मेरा सार्वजनिक जीवन मेरे अवचेतन में हस्तक्षेप कर रहा था. यह 1940 के सितंबर की पूर्व-संध्या की बात है, जब इटली के साथ युद्ध छिड़ गया था. तब मैंने राजनीतिक सपने लेने शुरू कर दिए थे. मैं अच्छी तरह से जानता था कि मेरा अवचेतन मेरी सरकारी नौकरी के हमले से पीड़ित था और मेरे सपनों में जिम्मेदारियों की शुरुआत हो चुकी थी.

आपने एक बार कविता और राजनीति के अंतर्संबंधों के बारे में टिप्पणी की थी.

आपका मतलब है जो मैंने प्रचार-लेखन और प्रतिबद्ध लेखन या जो भी अपने समय के लेखन के प्रकार के बारे में कहा था. मेरा यह विश्वास है कि जहां तक भावनाओं का प्रश्न है, वे सच्ची होनी चाहिए. उन्हें प्रचार के रूप में फैलाना चाहिए.

मैं नहीं मानता कि एस्किलस (ग्रीस का कारुणिक नाटककार) ने प्रचार के लिए नाटक बनाया जिसमें पारसियों की पीड़ाओं को दर्शाया या उसी तरह से केरकेस (ग्रीस के खिलाफ एक विशाल सेना का नेतृत्व करने वाले फारसी राजा) की हताशा और दारियस (फारसी राजा जो सिकंदर महान से हार गया था) के अतीत की दशा बयान की. इसके विपरीत उनके लेखन में अपने दुश्मनों के लिए मानवीय दया समाहित थी. इसलिए नहीं कि एस्किलस, सलामिस (सितंबर में 480 ईसा पूर्व में यूनानी नगर राज्यों के गठबंधन और फारसी साम्राज्य के बीच लड़ा गया युद्ध) की लड़ाई में ग्रीस के विजयी होने से खुश थे. लेकिन उन्होंने यहां तक दिखाया कि केरकेस की हार एक दिव्य प्रतिकार थी, केरकेस समंदर पर झंडा फहराने को प्रतिबद्ध था, यह उसके अक्खड़पन की सजा थी. जबकि उसे समंदर पर झंडा फहराने का अभिमान था. वास्तव में सलामिस के युद्ध में समुद्र ने उसे दंडित किया था.

क्या देश की सरहदों के पार कविता की तुलना करना संभव है, या हमें एक ही परंपरा के भीतर गुणात्मक तुलना करनी चाहिए?

कवियों की तुलना करने में मुझे एक प्रकार की अनिच्छा-सी है. एक ही परंपरा के भीतर यह तुलना काफी मुश्किल है. उदाहरण के लिए दांते, अल्फ्रेड, लॉर्ड टेनिसन के बीच तुलना करने का प्रयास करके आपको क्या हासिल होगा, मैं नहीं जानता. और फ्रेंच परंपरा में आप रैसीन और विक्टर ह्यूगो की तुलना कैसे कर सकते हैं? तुलना करने के लिए आपको परंपरा की जड़ में जाना होगा, जहां यह तुलना अच्छी तरह से संभव हो सके. दूसरी तरफ, मैंने खुद स्टॉकहोम के स्वीकृत भाषण में येट्स को उद्धृत किया था.

स्टॉकहोम की यात्रा से कुछ महीने पहले मैंने ‘द बॉन्टी ऑफ स्वीडन’ पढ़ी, जहां वह नोबेल पुरस्कार के अपने चुनाव के प्रसंग को बताते हैं. वहां मैं एक कवि के तौर पर नहीं एक इंसान के तौर पर उनसे जुड़ा, क्योंकि येट्स एक छोटे-से देश से संबंध रखते हैं जहां की लोक-परंपरा काफी महान है, और वह देश काफी राजनीतिक उथल-पुथल से भी गुजरा है. उदाहरण के लिए उन्होंने एक आयरिश विमान चालक पर एक कविता लिखी जो कहीं से भी प्रचार के लिए नहीं थी. वैसे दूसरे सार्वजनिक कवियों का उदाहरण भी है जो प्रचार पाने के लिए नहीं लिखते.

आपने अपने एक पाठ में ‘असिन के राजा’ (सेफेरिस की एक कविता का शीर्षक) का उल्लेख किया है जिसके तथ्य के विशेष अनुभव का रास्ता खोजने के लिए आपको दो वर्ष लगे. तब उसी बिंदु पर अपने दोस्त को उस कविता के नोट्स देते हुए एक लंबी शाम को आपने उस कविता का फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया. एलियट ने दावा किया था कि आप उस कविता को खत्म कर देंगे (आपने रात के दस बजे से सुबह के तीन बजे तक कविता तैयार कर दी थी), क्योंकि आपके सामने उसके कोई नोट्स नहीं थे.

वह सही थे. मेरे पास कोई नोट्स नहीं थे. मैं नहीं जानता कि एथेंस में मेरे घर में मेरे जो सारे कागज और किताबें हैं, वे सब चीजें मददगार होती भी या नहीं… और क्या जिस मेज पर आप नियमित रूप से कुछ घंटे बैठते हैं, वहां क्या सिर्फ खाली कागज या किताबें रखना बेहतर होता है?

क्या आप उन नोट्स को संभालकर रखते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं?

ओह! मैंने बहुत से नष्ट कर दिए हैं. एथेंस में एक यूनानी विज्ञानशास्त्री थे, जिन्हें नोट्स की फोटोग्राफी में रुचि थी. मुझे इस बात का ख्याल था कि मेरे पास ‘द क्रिस्टेन’ के नोट्स हैं. मैंने उन्हें अपनी सभी फाइल्स में देखा तब मुझे लगा कि मैं नष्ट कर चुका हूं. एक जो चीज मुझे
मिली वह ‘नट्स फॉर द वीक’ के नोट्स थे. वे हाल ही में प्रकाशित हुए थे, यानी उस समूह की दो गुम हुई कविताएं मुझे मिलीं.

यह जानकर मुझे खेद हुआ, क्योंकि ‘द क्रिस्टेन’ वह कविता है जिसे हम अस्पष्ट रूप से हर स्थान पर खोज सकते हैं और उसके नोट्स शायद हमारी मदद करते आखिरकार…

इसके बारे में कोई शिकायत मत करिए. आप जानते हैं, इससे शायद कविता और अधिक अस्पष्ट बन जाती. उदाहरण के लिए, कविता के समग्र विकास में मेरे विचार हैं कि आप देखें, सेफेरिस (यानी मैं), विनियमन पंक्तियों से शुरुआत करते हुए लय, सख्त छंद-व्यवस्था से होते हुए मुक्त छंद में स्थानांतरित करते जाते हैं. जब मैं अपने नोट्स देखता हूं तो मुझे अपनी प्रमुख कविता ‘स्ट्रोफी’, ‘एरोटिकोस लोगो’ में बहुत कठिन छंदों का प्रयोग प्रतीत होता है, लेकिन मेरे नोट्स दिखाते हैं कि यह कविता भी मुक्त छंद में लिखी गई है. मुझे अपने पहले ड्राफ्ट में से कुछ मिल गया है.

आप कभी भी उन्हें प्रकाशित करने पर विचार करेंगे?

खुदा की कसम, नहीं.

आप क्या सोचते हैं कि यही कारण है एलियट ‘द वेस्टलैंड’ के खोए हुए भागों के बारे में सावधान नहीं थे, लेकिन जिन्हें अब खोज लिया गया है.

जब उन्होंने मुझे ‘द वेस्टलैंड’ के लेखन की कहानी के बारे में बताया, तब वह पांडुलिपियों को खोने के कारण काफी हताश लग रहे थे. दूसरी ओर उन्होंने इस बिंदु पर जोर देते हुए बताया कि पाउंड का हस्तक्षेप उसमें कितना लाभदायक रहा है.

क्या आप अलग की हुई चीजों को प्रकाशित करने का अनुमोदन करते हैं?

मैं नहीं जानता, यह निर्भर करता है. यह एक चातुर्य का सौदा है— खुद कवि के लिए नहीं, बल्कि उसके संपादकों के लिए. वे उन्हें प्रकाशित करते हैं. वे इस बात पर ज्यादा जोर देते हैं कि उनके पास सभी महत्वपूर्ण खोज हैं और मैं सोचता हूं यह बहुत बुरा है. संपादक और भाषाविज्ञानी हमेशा ऐसी चीजें ज्यादा करते हैं. मुझे ऐसा लगता है.

आपकी डायरी के उस हिस्से से जिसका मैंने और मेरी पत्नी ने अनुवाद किया था, मालूम हुआ कि एलियट के साथ आपका रिश्ता कई तरीके से महत्वपूर्ण था. मुझे आश्चर्य होगा अगर पश्चिम की भी कोई साहित्यिक विभूति आपके लिए महत्वपूर्ण रही है. खासतौर पर मुझे नहीं मालूम शायद हेनरी मिलर और लॉरेंस डुरेल या कोई और. मैं आपके हमवतन थेओटोक्स और काटसिम्बलिस के बारे में भी सोच रहा हूं.

आप जानते हैं, डुरेल मुझसे काफी छोटा था. जब मैं उससे मिला, तब वह बीस वर्ष का एक बहुत ही मनोहर युवक था. हेनरी मिलर के साथ मैं उससे मिला था. वह ‘कॉलॉसस ऑफ मरौसी’ काटसिम्बलिस को देखने के लिए एथेंस आया था. यदि मेरी याददाश्त दुरुस्त है तो उस दिन युद्ध की घोषणा हो गई थी.

लेकिन निश्चय ही काटसिम्बलिस उस समय इतना चमत्कारपूर्ण नहीं रहा होगा.

नहीं, लेकिन मिलर उसे बहुत चमत्कारी बनाने की घोषणा कर रहा था.

खैर, उन्होंने वही किया.

उनसे मुलाकात अच्छी रही. कहना चाहिए वह पहले इंसान थे, और यदि वह पहले नहीं थे तब दूसरे और तीसरे होंगे. पाठक समझ सकते हैं कि मैं कहां जा रहा हूं. उदाहरण के लिए मिलर या लॉरेंस में से किसी एक ने मेरी कविताएं पढ़ने के बाद मुझसे कहा, ‘‘जानते हैं, जिस तरह चीजों के भीतरी तत्व को आप बाहर निकालकर लाते हैं. हम उसको पसंद करते हैं.’’ मैं इसे सकारात्मक रूप में ग्रहण करता हूं. उस वक्त मेरे लिए यह बहुत अच्छी तारीफ थी.

उनको आपकी कविता के बारे में कैसे पता चला?

कैसे? (सोचते हुए) उस समय अंग्रेजी में सिर्फ सिर्फ काटसिम्बलिस (ग्रीक कवि) का अनुवाद हुआ था. मेरा मतलब पांडुलिपि के अनुवाद से है.

एथेंस में आने के बाद वह सीधे काटसिम्बलिस के पास क्यों गए? क्या वही थे वह शख्स जिनसे वह संपर्क साधना चाहते थे. उन्हें एक साहित्यिक हस्ती के तौर पर क्या ग्रीस से बाहर पहचाना जाता था?

यह मुझे नहीं मालूम. शायद यह मित्रों के बीच की आपसी बात थी. ‘द कॉलॉसस ऑफ मरौसी’ के बाद वह एक बड़ी साहित्यिक हस्ती बन गए थे. उस समय वह मुझसे ज्यादा अंग्रेजी और अमेरिकी दायरे से परिचित थे. मुझे कहना चाहिए कि तब तक एथेंस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूढ़िमुक्त हो गया था. युद्ध की पूर्व-संध्या के समय मेरा मतलब है — मुझे यह जोड़ना चाहिए — कि काटसिम्बलिस के पास एक अद्भुत गुण था कि उसके दिल में किसी के प्रति बुराई बिल्कुल नहीं थी. वह किसी की आलोचना कर सकता था, लेकिन एक अच्छे दिल के जरिए. उन्हें ऐसा विश्वास था कि हमारा छोटा-सा देश कुछ करने में सक्षम है.

हेनरी मिलर के बारे में बताएं, उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?

मैं मिलर को पसंद करता हूं— एक बहुत अच्छे दिल का आदमी. यह कहने के लिए मुझे माफ कीजिएगा — मेरा मानना है — किसी लेखक के बारे में यह कहना कि वह एक अच्छा इंसान भी है, आलोचना नहीं है. मिलर के पास काफी उदारता थी. उदाहरण के तौर पर जब उनके लिए वापस अमेरिका जाने का समय आया, (अमेरिकी दूतावास ने उन्हें ऐसा करने को कहा था, एक अमेरिकी नागरिक होने के नाते उन्हें अपने घर वापस जाना था, क्योंकि युद्ध नजदीक आ गया था) उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘मेरे प्रिय जॉर्ज आप मेरे प्रति काफी दयालु रहे हैं, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं…’’ और तब उन्होंने वह डायरी निकाली जो उन्होंने ग्रीस प्रवास के दौरान अपने पास रखी हुई थी. मैंने कहा, ‘‘देखो हेनरी, मैं जानता हूं आखिरकार आप एक किताब लिखने जा रहे हो और आप उसे नहीं लिख सकोगे. मेरा मतलब है कि आपको लिखने के लिए नोट्स की आवश्यकता हो सकती है.” उन्होंने कहा कि नहीं वे सब चीजें यहां हैं, यह उन्होंने अपने सिर (दिमाग) की तरफ इशारा करते हुए कहा.

मैंने उन्हें देने के लिए एक टाइप की हुई प्रति पेश की. तब उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मुझे पूरा उपहार चाहिए.’’ लेकिन मैं सोचता हूं कि बर्ताव का यह तरीका शानदार है और मैं यह कभी नहीं भूल सकता कि वह डायरी एक तरह से ‘कॉलॉसस’ का पहला मसौदा बनी, लेकिन बहुत सारे व्यक्तिगत धमाकों के साथ. और हां, निश्चय ही उसमे चुटकुले अधिक थे.

किताब में कुछ परिहास भी हैं.

मुझे याद है, हाइड्रा की शानदार सैर और पोरोस का चैनल. मिलर के बारे में मेरी यह भावना है कि बेशक पुराने लेखकों को समझना एक बड़ी बात है, लेकिन मुझे लगता है कि एक इंसान — जिसकी मैं इसलिए प्रशंसा करता हूं कि — उसने ग्रीस को समझने के लिए किसी भी तरह की शास्त्रीय तैयारी नहीं की, तो वह इंसान मिलर है. उनके पास एक तरह की ताजगी है.

ताजगी से आपका आशय पहली बार में सब कुछ समाहित करने की तैयारी है?

मैं सोचता हूं कि मैं ही वह पहला इंसान था जिसे मिलर को एस्किलस (ग्रीक नाटककार) का पाठ उस वक्त दिया, जब उसने मिसनए जाने का फैसला कर लिया था. लेकिन निश्चय ही उन्होंने एस्किलस में कुछ नहीं देखा. उन्होंने जैज बिगुल बजाते हुए अर्गोस के मैदान में रेडस्किन्स देखे. उनके इसी सहज व्यवहार की मैं प्रशंसा करता हूं.

जैज बिगुल?

मुझे लगता है कि जैज बिगुल, लुई आर्मस्ट्रांग से प्रेरित था. क्योंकि वह ग्रामोफोन — शुरुआती दौर का छोटा-सा ग्रामोफोन — पर (जैसे एथेंस में मेरे घर पर हैं) आर्मस्ट्रांग को सुना करता था. खुद मैंने आठ या दस साल पहले जैज की खोज की थी.

मिलर के ग्रीस में आने से पहले आपने उन्हें जैज़ के बारे में सिखाया?

बत्तीस या तैंतीस वर्ष की उम्र में मैं जैज का दीवाना बन गया था, और मैं स्वयं से कहता था कि आखिरकार इन सबके बाद मैंने एक ही समय में महान बाख (जर्मन संगीतकार) को और जैज की अहमियत को जान लिया है. मुझे याद है कि मैंने एक बार शायद सन् 35, नहीं 34 में मित्रोपोउलोस (ग्रीक पियानोवादक और संगीतकार) को कहा था, ‘‘मेरे लिए, मेरे प्रिय विशेषज्ञ, जैज मेरी भावनाओं को व्यक्त करने के तरीकों में से एक है.’’

क्या ग्रीस में ऐसा कोई लेखक है जिससे आपकी खासतौर पर निकट की दोस्ती रही हो?

यह निर्भर करता है कि आप किस अवधि का जिक्र कर रहे हैं. एक बार मेरी सिकेलियनोस से करीबी दोस्ती थी. मैं उससे 1929 में मिला था. हालांकि उससे नजदीकियां तब तक नहीं बढ़ी थीं, जब तक मैं 1944 में ग्रीस नहीं लौट आया था. अपनी बीमारी के वक्त सिकेलियनोस वाकई महत्वपूर्ण हो गया था. जब वह अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशानी में था, तब मैं विदेश में था. अपनी यात्राओं का सहारा लेते हुए मैं एक बार उसे मिलने के लिए एथेंस गया. मैंने सुना कि उसे ब्रेन हैमरेज हो गया है. जब नेशनल थिएटर के गलियारे में मैं उससे मिला, तब उसने काला चश्मा पहना हुआ था. मैंने कहा, ‘‘ओह! एंजेलो मैं खुश हूं कि तुम यहां हो, लेकिन मैंने सुना है कि तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है. तब उसने कहा, ‘‘मेरे प्रिय यह एक मनोरंजक चीज है कि तुम्हारे मस्तिष्क के ऊपर एक रूबी है. मेरा मतलब रक्त के बहाव से है.’’ मैंने उससे कहा, ‘‘यह खुशी की बात है कि तुम इस तरह से बात कर रहे हो.’’ उन्होंने कहा, ‘‘’जॉर्ज, यहां देखो. मैं तुम्हें अगले मध्यांतर के दौरान एक कहानी सुनाऊंगा.’’

मैं अगले मध्यांतर के दौरान उसके पास पहुंचा. उसने कहा, ‘‘क्या तुमने रोकम्बोल को पढ़ा है. वह एक प्रकार का फ्रेंच थ्रिलर है.’’ सिकेलियनोस जारी थे, ‘‘एक बार एक औरत ने रोकम्बोल के चेहरे पर ही तेजाब फेंक दिया था और रोकम्बोल की दृष्टि खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो गया था. इसलिए उन्हें अपने एक गुर्गे के द्वारा पेरिस के सबसे अच्छे विशेषज्ञ के पास ले जाया गया. विशेषज्ञ ने ध्यान से उनकी जांच की जबकि उनका दोस्त इंतजार-कक्ष में उन दोनों की बातें सुनता रहा. डॉक्टर का निष्कर्ष इस प्रकार था, ‘श्रीमान, आपको दो चीजों के बीच में से चुनाव करना है, या आप अपनी दृष्टि खो बैठेंगे या आपका चेहरा विकृत हो जाएगा.’ वह भारी चुप्पी का पल था, तभी प्रतीक्षालय से रोकम्बोल की आवाज सुनाई दी… रोकम्बोल को आंखों की कोई जरूरत नहीं है.’’

सिकेलियनोस के बारे में मुझे कुछ और बताएं? ग्रीस से बाहर उन्हें बहुत कम जाना जाता है.

उसकी मृत्यु के बाद लिखे एक लेख में मैंने एक बात का उल्लेख किया है. एथेंस में जब वह एक बड़े संकट में था, मैं उसे देखने के लिए गया. मैं बहुत बेचैन था. वह एक दोस्त के घर में गिर पड़ा था, और एक शानदार प्रतिक्रिया मुझे मिली, जब मैंने उससे कहा, ‘‘मेरे प्यारे एंजेलो, क्या तुम ठीक हो.’’ उसने कहा, ‘‘मैं ठीक हूं, लेकिन यह एक  शानदार अनुभव था. मैंने पूर्ण अंधेरा देखा, जो बेहद सुंदर था.’’

क्या आप पाल्मास को जानते थे? वह किस तरह का इंसान थे?

आपको पता है, मेरे पास लोगों की अजीब किस्म की यादें हैं. उदाहरण के लिए, दूसरे लोग अपने स्वयं के विशेष कारणों के लिए सिकेलियनोस की प्रशंसा करते हैं, लेकिन मैं सिकेलियनोस के पिछले साल के त्रासद और शानदार क्षणों से प्रभावित हूं. अब पाल्मास के बारे में, उनसे जुड़ी आखिरी याद उस समय की है जब मैं उनसे अलविदा कहने के लिए गया था, क्योंकि मुझे जल्द ही निकलना था. उस बातचीत के दौरान उन्होंने अपनी कविता में कई तरह के पागल लोगों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘आप जानते हैं, हमारे परिवार में कई सनकी लोग हैं. एक जमाने में मैं ‘टू जेनोस टोन लोको’ शीर्षक से एक किताब लिखना चाहता था.’’ अंग्रेजी में हम इसका अनुवाद कैसे करेंगे?

पागलों की?

पागलों की काफी नहीं. ‘परोक्ष’ पुरुषों की.

तिर्यक पुरुषों?

इस शब्द का मैं सटीक अनुवाद ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा हूं.

शायद असंतुलित पुरुष?

मैंने उससे कहा, ‘‘श्रीमान पाल्मास, यह अफसोस की बात है कि आप एक ऐसी किताब लिख नहीं पाए.’’ क्योंकि मुझे लगता है कि वह एक अच्छी किताब होती. उनके स्वभाव में हास्यबोध अधिक था.

आप ग्रीक साहित्य को पाल्मास का सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्या मानते हैं?

मैंने इसका वर्णन ‘डोकिमेस’ में किया है, लेकिन मैं उसे दुहराता हूं कि ग्रीक भाषा में उनका बेहद महत्वपूर्ण योगदान है. हालांकि उनके मुकाबले कवाफी की अभिव्यक्ति थोड़ी देर के लिए बेहोश कर देती है. वह अधिक वास्तविक लगती है.

लेकिन जब आप ‘हालांकि अधिक वास्तविक’ कहते हैं…

फिर से कहता हूं, कवाफी ने कुछ दिल दहलाने वाली अवास्तविक-सी कविताओं से अपने लेखन की शुरुआत की थी, लेकिन आखिर में अपनी जिद और अपनी मेहनत की वजह से उन्होंने अपनी व्यक्तिगत आवाज बनाई. 34 साल तक वह बहुत खराब कविताए लिखते थे, क्योंकि उन कविताओं की विफलता यह थी कि वे विदेशी पाठकों के लिए अनुवाद और प्रचारित नहीं की जा सकती थीं. अनुवाद की भाषा हमेशा उन्हें सुधारने के लिए बाध्य करती थी. ईमानदारी की बात यह है कि उनके अनुवाद की कोई संभावना नहीं थी.

आप जानते हैं, मैं इसे अपने से परिभाषित करता हूं, जिस चीज के लिए मैं कवाफी की प्रशंसा करता हूं, वह यह है कि वह ऐसा इंसान है जिसने उस खास उम्र से शुरू किया जिसमें वे चिन्ह दिख रहे थे कि वह कुछ खास उत्पन्न करने में असमर्थ हो चले हैं. तब उन्होंने खुद को दी गई पेशकश ठुकराई और आखिर में जैसा कि कह सकते हैं, उन्हें अपनी अभिव्यक्ति मिल गई. यह एक ऐसे इंसान का अच्छा उदाहरण है जिसने इंकार के बावजूद अपनी राह बनाई.

उन्होंने किस चीज के लिए वाकई में मना किया था?

अभिव्यक्ति, कुछ आसान चीजों और शब्दाडंबर जैसी चीजों को. उदाहरण के लिए प्राचीन त्रासदी की कविता को लें. वह बहुत खराब है. उसमें कुछ अविश्वसनीय भी है. इन बातों को एक तरफ करके देखें तो कवाफी ने अपने आपको बेहतर बनाया. यहां तक कि आखिरी कविता में अंतःक्रिया के बाहरी इलाके के बारे में, ईसाइयों और जूलियन के बीच की घटनाओं के बारे में, और मैं उनके इस तरह के अंत पर पहुंचने की प्रशंसा करता हूं. वह एक महान उदाहरण हैं. उनके पास जीवन के आखिर तक एक साहस था— कुछ चीजों को अस्वीकार करने का, उन्हें खारिज करने का, और इसलिए मुझे उन सब लोगों के बारे में संदेह है जो कवाफी की चीजों को पढ़े बिना उनकी खारिज की हुई चीजों को प्रचारित करने में लगे हुए हैं. आप जानते हैं कि इन चीजों के लिए बड़े विचार की जरूरत है.

अब पुरानी पीढ़ी के अन्य प्रसिद्ध लेखकों की तरफ मुड़ते हैं. कजांतजाकिस के बारे में बताएं? अमेरिका में कवाफी एक बड़े कवि थे जिन्हें उन लोगों द्वारा आदर प्राप्त था जो खुद भी कवि थे. उदाहरण के तौर पर ऑडेन और दूसरे महत्वपूर्ण अमेरिकी कवि जो कवाफी को जानते थे और उनके प्रति सहानुभूति का रवैया रखते थे, लेकिन विद्यार्थियों और उनके बीच जिन्होंने अभी साहित्य को समझना ही शुरू किया है, कविता और उपन्यास दोनों के क्षेत्र में कजांतजाकिस अब तक के सबसे चर्चित ग्रीक कवि रहे हैं. मेरा काम तेजी से कजांतजाकिस को धूमिल किए बिना उनके कविता और उपन्यास दोनों के काम के बारे में बातचीत करने की ओर है.

मुझे इसमें आश्चर्य नहीं है. बात यह है कि हमें एक लेखक के संपर्क में होने की संभावना होनी चाहिए, और मुझे लगता है कि मेरे लिए कजांतजाकिस के संदर्भ में ऐसा नहीं था. आप जानते हैं कि मेरे साथ यह भयानक बात है. कजांतजाकिस के मामले में और दूसरी तरफ उनकी कविता है, जिसे कविता कहा जाता है और निश्चय ही ‘ओडिसी’ की अगली कड़ी और उनका गद्य और उनके नाटक. अब जहां तक उनके नाटकों का संबंध है, मैं उनके साथ न्याय करने के लिए सक्षम नहीं हूं. मैं नहीं जानता कि उपन्यास के बारे में किस तरह से बात की जाती है. मैंने उन सबको पढ़ा भी नहीं है. जिन लोगों पर मैं भरोसा कर सकता हूं, मैंने उनसे सुना है कि वे अच्छे हैं.

लेकिन ‘ओडिसी’ के आगामी संस्करण का मामला दूसरा है. वहां पर आपको रोचक अंश मिलेंगे, पर मुझे डर है कि उनमें कोई कविता नहीं है. मैं रोचक अंश कह रहा हूं — अंश — जिसमें आपको एक इंसान कजांतजाकिस के बारे में जानकारी मिलेगी, लेकिन मैं विश्वास करता हूं कि वह कविता नहीं है. कम से कम जिस कविता में मैं विश्वास करता हूं, वह तो बिलकुल नहीं.

एक दार्शनिक या धार्मिक स्थिति के ‘विचार’ क्या काव्य-विवेचन से काफी अलग होते हैं?

मैं नहीं जानता. दार्शनिक अवस्था और दुनिया के बारे में मुझे नहीं मालूम. आप जानते हैं कि मुझे नहीं मालूम, कब सांसारिक विचार आपके लेखन के साथ हस्तक्षेप शुरू करते हैं. मैं विश्वालोकन को शुष्क प्रतिकारक और नीरस तरीके से पसंद करता हूं. (मैं नहीं जानता कि इसे कैसे दर्ज करूं.) मुझे याद है कि एक बार थेसालोनिके (ग्रीस का दूसरा बड़ा शहर ) में एक पाठ था, और एक दार्शनिक उठ खड़ा हुआ और पूछने लगा, ‘‘इन सब चीजों के बाद, श्रीमान सेफेरिस आपका वैश्विक नजरिया क्या है?’’ मैंने जवाब दिया, ‘‘मेरे प्यारे दोस्त, यह कहने के लिए मैं माफी चाहता हूं कि मेरे पास वैश्विक दृष्टि नहीं है. मैं इस सार्वजनिक स्वीकारोक्ति से सबको अवगत करवाना चाहता हूं कि मैं बिना किसी विश्व-दृष्टि के लिखता हूं, शायद आपको यह अपमानजनक लगे, लेकिन श्रीमान क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं कि होमर का वैश्विक नजरिया क्या था?’’ मुझे कोई जवाब नहीं मिला.

एक सामान्य विषय को आगे बढ़ाते हुए एथेंस में हम-दोनों की बातचीत में आपने कहा था कि इस शताब्दी के ग्रीक लेखकों के बारे में उल्लेखनीय है कि ग्रीस की उस परिस्थिति में बहुत सारे लेखक अपने राज्य से बाहर थे. उदाहरण के तौर पर, आपने स्वयं का उल्लेख किया था. क्या स्मिर्ना (अनातोलिया के एजियन तट पर स्थित) में आपके जीवन-यापन के तरीके ने एक साहित्यकार के रूप में आपके काम को प्रभावित किया?

मेरा यह कहना है कि मेरी रुचि उन सभी चीजों में है जो ग्रीक और उसकी भाषा में अभिव्यक्ति पाती हैं— मेरा मतलब है, पूरी यूनानी भूमि में. उदाहरण के तौर पर मेरी भयंकर रूप से इस बात में दिलचस्पी है कि क्रेते सेंचुरी में क्या हुआ था. अगर आप जानते हों, दूसरी तरह से रोमानिया के लोगों और वॉलच्या के लोगों, उनमें मेरी रुचि है. कैसारिओस डपंटेस की रियासतों के अजीब लोगों में भी.

मुझे लगता है कि उन्होंने कहीं उत्तरी द्वीप में स्कॉपेलोस और स्पोर्ड्स की रियासतों में रहते हुए, लंबे समय तक अपने जीवन का एक हिस्सा बिताया होगा और अंत में कैसारिओस के नाम से माउंट में सेवानिवृत्त हुए. मेरा यह मतलब नहीं है कि वे महान कवि थे. बस उनके अभिव्यक्त करने का तरीका मुझे आकर्षित करता है. मैं यह नहीं कहता कि वे बढ़िया कविता लिखते थे, लेकिन आखिरकार अठारहवीं सदी में उन देशों में हर कोई ग्रीक साहित्य को फलता-फूलता हुआ महूसस कर सकता था.

मॉन्ट एथोस में एक साधु थे. मैं उनका नाम याद करने की कोशिश कर रहा हूं. उनका नाम पम्ब्रीस था. उन्होंने एक कविता लिखी थी— एक छोटी कविता, क्योंकि उन्होंने जो प्रणाली चुनी थी, उसके तहत एक लंबी कविता लिखना एक असंभव उपलब्धि होती. उन्होंने उसे ‘पोइमा करकिनिको’ यानी ‘कैंसरअस कविता’ कहा. वह बाएं से दाएं और दाएं से बाएं पढ़ी जाती है और उसे अभी भी समझने का प्रयास किया जाता है. लेकिन उन्होंने प्रत्येक पंक्ति में मायने को एक दूरस्थ भावना के तहत टिप्पणियों में रखा था.

ये छोटे विवरण मुझे मनोरंजक लगते हैं. मैं मानता हूं कि ये ग्रीक साहित्य की प्राध्यापकीय छवि को जोड़ते हैं. फिर एक दूसरा पाठ : ‘द मास ऑ बियर्डलेस’ का, जो कि विशेष रूप से हांस्य-व्यंग्य के ग्रंथों से कम शोकपूर्ण है. मुझे ये विशेष रूप से मनोरंजक लगे, क्योंकि मैंने ऐसे सरल हास्य से परिपूर्ण ग्रंथ कम ही देखे हैं. या तो लोग ऐसे ग्रंथ लिखने से परहेज करते हैं या खराब विचारधारा वाले शिक्षाविदों द्वारा इसका सफाया कर दिया गया है.

यह एक दिलचस्प टिप्पणी है. एक कार्यक्रम में आपने कहा था कि आपने पाया है कि एंग्लो सेक्सन परंपरा में लिटरेरी नॉनसेंस के तत्व हैं जो कि किसी और परंपरा में नहीं हैं. वे तत्व जो कि हमारे साहित्य में काफी हैं और लगातार किसी रूप में विद्यमान रहते हैं.

एंग्लो सेक्सन परंपरा हमारी परंपरा से निश्चित रूप से अलग है और मैं दावा करता हूं कि महाद्वीपीय देश ऐसे तत्व के प्रस्ताव पेश नहीं कर सकते, जैसे एडवर्ड लेअर और लेविस कर्रोल ने पेश किए थे.

आपने नौकरी के दौरान तीन साल इंग्लैंड में बिताए, जिनमें आपके साहित्यिक जीवन का सबसे बढ़िया वक्त भी शामिल है. क्या आपको काम करने के लिए एक विशेष रूप से अनुकूल जलवायु वहां मिली?

ऐसा नहीं है. जब में अल्बेनिया में था तब वहां लिखने के लिए सबसे अच्छी जगह थी, क्योंकि मैं वहां काफी हद तक अंजान और अलग था और उस समय भी जब मैं ग्रीस के नजदीक था. मेरा मतलब है कि भाषा के दृष्टिकोण से मैं उस खाली समय का लाभ उठाता था. वहां थकाऊ सामाजिक काम नहीं थे.

इंग्लैंड में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान अंग्रेजी साहित्यकारों के साथ अपने परिचय के बारे में बताएं? बेशक आपकी मुलाकात एलियट से हुई होगी.

नहीं, मेरे पास एलियट के परिचय वाला एक पत्र था और मैंने उनके कार्यालय में फोन किया, लेकिन उनके सचिव ने मुझे सूचित किया कि वह अमेरिका में हैं. उस वक्त वह चार्ल्स इलियट नॉर्टन, हार्वर्ड में प्रोफेसर थे. शुरुआत में मैं एलियट या किसी अन्य लेखक से कभी नहीं मिला. पहले के समय मैं एक शर्मीला इंसान था और तब मैं खुद अपनी अभिव्यक्ति तलाश रहा था. इसके विपरीत दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब मैं इंग्लैंड गया तो उस अवधि के दौरान अंग्रेजों के बीच मध्यपूर्व के कई बढ़िया दोस्त बने. जब मैं इंग्लैंड से एक सलाहकार के रूप में दूतावास में आया, तब मुझे जरा भी कठिनाई नहीं हुई, क्योंकि तब तक मैं इंग्लैंड में काफी हद तक प्रतिष्ठित हो गया था. यह 1948 में मेरे ‘द किंग ऑफ असिन एंड अदर पोयम्स’ के पहले अनुवाद के बाद ही संभव हुआ.

मुझे आश्चर्य है कि इंग्लैंड की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की अवधि के दौरान आपने अंग्रेजी या अमेरिकी साहित्य से परिचय प्राप्त किया या जिसे आपने एलियट समेत विशेष रूप से रोमांचक पाया हो.

मुझे लगता है, एक व्यक्ति जिसे मैं काफी बाद में मिला और जो मेरे लिए काफी शिक्षाप्रद सिद्ध हुआ वह येट्स थे. मैं येट्स के प्रारंभिक समय के बारे में बात कर रहा हूं. आप देखें कि मैंने येट्स की तरह ही लोक-कथाओं से फायदा उठाने का प्रयास किया है.

अमेरिकी साहित्य के बारे में, क्या प्रारंभिक वर्षों में आपको कुछ अमेरिकी लेखक पसंद रहे हैं?

मेरे लिए यह काफी अजीब है. विदेश में जाने वाले हरेक के साथ ऐसा होता है. मेरा मतलब है कि साहित्य और कला में कोई संयोगवश ही जाता है. उदाहरण के तौर पर मुझे याद नहीं किस मौके पर मेरी मुलाकात आर्चिबाल्ड मक्लेश से हुई. एक तथ्य के रूप में मैंने उनका अनुवाद किया. मेरा ख्याल है कि शायद मैं पहला इंसान था जिसने उन्हें ग्रीस में अनुवाद किया. उसके बाद मरियाने मूर. युद्ध से पहले मैंने मरियाने मूर की ‘द मंकी’, ‘टू अ सनैल’ का अनुवाद किया.

उनसे आपका सामना दुर्घटनावश हुआ. वह दुर्घटना क्या थी?

ओह! मैं कुछ नहीं जानता. कुछ समीक्षा-पुस्तकों में मैंने कविताएं देखीं. मुझे याद नहीं कौन-सी और फिर एजरा पाउंड. युद्ध से पहले मैंने ‘थ्री सांतोस’ का अनुवाद किया.

मैं तब अमेरिकन साहित्य खरीद रहा था. उदाहरणस्वरूप मैं दूसरे पुराने अमेरिकी कवि वाल्ट ह्विटमैन और एमिली डिकिंसन के बारे में सोच रहा था.

मैं वाल्ट ह्विटमैन को जानता था, क्योंकि मैंने फ्रेंच साहित्य से शुरू किया और वाल्ट ह्विटमैन मेरे किताब प्राप्त करने से पहले फ्रेंच में अनूदित हो चुके थे. तब हेनरी मिलर ने ह्विटमैन की प्रशंसा की. उन्होंने मुझे उनके बारे में कुछ संकेत दिए थे. वह समय निश्चित रूप से युद्ध के विस्तार का था. अपनी जवानी में मैंने ह्विटमैन और एडगर एलन को पढ़ा था.

अब आप वापस ग्रीस जाने के बारे में सोच रहे हैं, तब क्या आप संयुक्त राज्य अमेरिका की इस विशेष यात्रा के बारे में कुछ कह सकते हैं? जहां तक मुझे याद पड़ता है, यह आपकी तीसरी यात्रा है. कुछ इस यात्रा के प्रभाव के बारे में अपनी राय जाहिर करें.

मेरी यह तीसरी अमेरिकी यात्रा दूसरी यात्राओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है, इस बात पर मैं विश्वास नहीं करता. मैं यह नहीं मानता कि न्यूयॉर्क की यात्रा से आपको अमेरिका को समझने में मदद मिलती है. यह काफी दिलचस्प है कि किसी बड़े केंद्र की बजाय एक दूरस्थ स्थान यानी प्रिंसटन में एक जंगल के बीच में भी मैं अमेरिका को देखने और समझने में लगा हूं.

बेशक, प्रिंसटन के निवासियों को प्रिंसटन दूर नहीं लगता है.

खैर, दूसरों के बारे में मेरा यह कहना है, जो यह कोशिश कर रहे हैं कि वे महानगरीय केंद्रों को देखने के लिए यात्रा कर रहे हैं, उन्हें यह दूर लग सकता है और आखिरकार हम विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम में शामिल किसी कोर्स के यात्री नहीं हैं.

इस यात्रा के दौरान विशेष रूप से आपको किसने प्रभावित किया है?

आप जानते हैं कि मैं उन चीजों का उल्लेख नहीं करना चाहता जिन्होंने मुझे प्रभावित किया है. कोई नहीं जानता कि आपको किसी मौके पर क्या खुश कर जाता है. मेरा मतलब है कि स्मृति में विस्तार होने के लिए समय लगता है.

क्या आपने कुछ काम पूरा कर लिया है?

हां, मुझे लगता है, मैं कह सकता हूं कि मैंने कर लिया है. मैं नहीं जानता काम के बारे में कैसे कहा जाता है. मेरी यह धारणा है कि काम के बारे में तभी बोलना चाहिए जब वह पूरा हो जाए. मैं विस्तार की अवधि के दौरान अपने काम के बारे में बात करने का इच्छुक नहीं हूं. लेकिन किसी भी मामले में आपके भीतर यह भावना होनी चाहिए कि आप अपना समय बर्बाद नहीं कर रहे. मेरा मतलब है, मैं आपके साथ ईमानदार होना चाहता हूं. मैं वास्तव में किए हुए काम का उल्लेख नहीं कर सकता. मैं आपको सिर्फ उस चीज का ही उल्लेख कर सकता हूं और मैं यह उल्लेख करने नहीं जा रहा हूं कि मैंने दो पंक्तियों की एक कविता लिखी है.

क्या आपने कभी यह महसूस किया कि जिन पंक्तियों को आप लिखते हैं, उनके अलावा भी कविता किसी और सुसंगत तरीके से बाहर आ सकती है ताकि जब आप पोरोस चले जाओगे, तब वह अपेक्षाकृत कम समय में सामंजस्य स्थापित कर ले? वह महीना छुटकारे का होता है न?

मेरे करियर के दौरान दो महीनों की ये पहली सबसे लंबी छुट्टियां थीं.

और तब आप कविता लिखने में सक्षम होते हैं और वह लंबी कविता एक बैठक के दौरान लिखी जाती है— उस दो महीने की छुटिट्यों की लंबी बैठक के दौरान.

नहीं, उस कविता के लिखने की कहानी उस समय की डायरी में दर्ज है. ‘46 ऑफ पोरोस’ के समय की. मैं पहले तैरने जाता था, नहीं, पहले मैं बगीचे में लकड़ी काटता था. (जो कि बहुत बड़ा बगीचा था.) तब मैं समुंदर की तरफ जाता था और वहां रात तक काम करता था. अंधेरा, शाम सात बजे तक हो जाता था और यह काफी अजीब है… आप जानते हैं कैसे. इस तरह की बातें करने के लिए मुझे माफ कीजिए, मैंने देखा है कि इस तरह की जिंदगी उत्तरोत्तर साफ होती गई है. उदाहरण के तौर पर मैं अपने सपनों में उस साफगोई को देखता हूं, जैसा कि मैंने उस डायरी में इसे लिखा है जिसे मैंने हाल ही में खत्म किया है.

मुझे आश्चर्य होगा अगर आपको यह लगने लगा होगा कि अब ग्रीक साहित्य में आपकी अद्भुत जगह बन गई है. अपने ही देश में एक कवि की अनूठी जगह उस वक्त तक नहीं बनती जब तक उसे नोबेल पुरस्कार न मिल जाए. क्या आप यह महसूस करते हैं कि किसी न किसी तरह इसने आपकी साहित्यिक-सार्वजानिक भूमिका और एक कवि के रूप में आपके व्यक्तिगत किरदार को प्रभावित किया है. उदाहरण के तौर पर क्या आप युवा कवियों के लिए कोई जिम्मेदारी महसूस कर रहे हैं. आपके आस-पास जो सांस्कृतिक जीवन है या कोई ऐसी जगह जिससे आप अपने देश के संबंध को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं?

अब हम नोबेल पुरस्कार के मुद्दे से दूर जाते हैं. मुझे लगता है, एक छोटा-सा देश होने के नाते, ग्रीस में आमतौर पर नोबेल प्राप्त पुरस्कार विजेता और उनके अनुचरों के बीच एक प्रकार की परंपरा है, (ब्रिटेन के विपरीत, यदि यह अनौपचारिक परंपरा है तो) भले ही प्रवक्ता की भूमिका कभी-कभी खुद ही मान ली गई हो. उदाहरण के तौर पर सिकेलियनोस ने यह किरदार निभाया और अपने दिनों में पाल्मास ने भी.

हां. खैर, खुदा उन्हें आशीर्वाद दे, लेकिन मैं खेद के साथ कहता हूं : मैंने कभी यह महसूस नहीं किया कि मैं किसी के लिए प्रवक्ता था. ऐसा कोई दस्तूर नहीं है कि कोई किसी को अपना प्रवक्ता घोषित करे. दूसरे लोग यह समझते हैं कि यह एक काम है जिसे जरूर पूरा होना चाहिए. लेकिन मुझे लगता है यह चीज है, मैंने इतना कम क्यों लिखा है, मैंने कभी ऐसा इकरारनामा महसूस नहीं किया. मैंने यह स्वीकार किया है कि मुझे एक कवि के तौर पर सूखना नहीं चाहिए और लिखते जाना चाहिए. शुरुआत से ही मेरी यही भावना रही है. मुझे याद है कि जब मेरी पहली किताब प्रकाशित हुई तब कई सारे लोगों ने कहा, ‘‘मिस्टर सेफेरिस आपको अब यह दिखाने की कोशिश करनी चाहिए कि आप इससे ज्यादा कर सकते हैं.’’ मैंने उन्हें जवाब दिया कि श्रीमान आप इस बात को मानिए कि मेरी सभी प्रकाशित कविताएं आखिरी हैं. मेरे पास उनके विस्तार की कोई भावना नहीं है, और अगर मैं दूसरी कविता लिखूंगा तो यह मेरे लिए वरदान होगी. अब एक बात और, मैं अपनी अगली कविता के लिए कितना काम कर रहा हूं, या कितना काम है जो मैंने नहीं किया है, यह एक दूसरा — निजी — मामला है.

जॉएस कुछ इस तरह ही सोचते हैं. मैं ‘ए पोर्ट्रेट ऑफ एन आर्टिस्ट एज ए यंग मैन’ के नीचे स्टीफेन डेडलस द्वारा लिखी इस प्रसिद्ध पंक्ति के बारे में सोच रहा हूं, ‘‘मेरी अंतरात्मा की भट्टी में मेरी जाति का अनगढ़ विवेक समाहित है.’’

मैं आपको एक दूसरा उदाहरण देता हूं. मेरे युवाकाल में, ज्ञान की समस्या, उसकी व्याख्या, ग्रीक क्या है और कौन-सी चीज जो ग्रीक नहीं है और ग्रीक की होने पर तारीफ और उसके ग्रीक न होने पर काफी बहस चला करती थी. संक्षेप में ‘असली’ ग्रीक परंपरा को स्थापित करने की कोशिश की जाती थी. मैंने लिखा, ‘‘ग्रीकपन यूनानियों द्वारा उत्पादित प्रामाणिक कार्यों का योग है.’’ हम यह नहीं कह सकते कि ग्रीक होने से किसी काम में विवेक पैदा होता है. हम रेखा को देखते हैं, लेकिन अंधेरे के बड़े हाशिए से घिरे रहते हैं. यह इतना आसान नहीं है, मैं अपनी आवाज के बारे में नहीं जानता. बेहतर है कि कुछ समय के लिए, दूसरे अपनी अंतरात्मा के बारे में विचार करते हैं. इसका निर्णय उन्हें करने दीजिए. मैं इसे किसी पर लाद नहीं सकता, क्योंकि इन मामलों में आप तानाशाह नहीं हो सकते.

कुछ लोगों का सोचना है कि आपके पास एक स्वस्थ रवैया है, लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसा भी सोचते हैं कि विशेष रूप से जब देश में केवल वही एक नोबेल पुरस्कार प्राप्त विजेता हो, तो उसे एक सार्वजनिक विवेक वाला प्रवक्ता होना चाहिए.

आखिरकार ऐसा हो सकता है, लेकिन आप इसे जैसा भी कहें, सबका एक रवैया होता है जो प्रकृति द्वारा उस पर थोपा जाता है. मैंने स्वयं कभी वह लिखने के लिए जोर-जबरदस्ती नहीं की जिसे लिखना मैं आवश्यक नहीं समझता. इसके साथ ही जब मैं ‘आवश्यक’ कहता हूं तो इसका मतलब मैं उसे व्यक्त करना चाहता हूं.

खैर, मेरे पास सवाल खत्म हो रहे हैं… क्योंकि युवा पीढ़ी के लिए आपके पास कोई बड़ी सलाह नहीं है. मेरे पास आपसे पूछने के लिए ज्यादा कुछ बचा नहीं है.

मेरे पास एक सलाह है.

ओह! अच्छा आप देंगे?

आने वाली ग्रीक पीढ़ी को मैं यह सलाह देता हूं कि वे जितना हो सके आधुनिक यूनानी भाषा में अभ्यास करें और ऐसे अस्त-व्यस्त कदापि न करें. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि जो वे लिख रहे हैं, उन्हें उस पर विश्वास होना चाहिए. कोई उन पर विश्वास कर रहा है, इस बात का भरोसा नहीं करना चाहिए. उन्हें याद रखना चाहिए कि कोई काम जिसमें कतई झूठ नहीं बोला जाता तो वह काम कविता लिखने का है. कविता में हम झूठ नहीं बोल सकते. अगर आप झूठ बोलेंगे तो शायद आज, शायद पांच या दस सालों में आप पहचान लिए जाएंगे.

जब आप झूठ बोलने की बात करते हैं, तब आप सबसे पहले अपनी भावनाओं के खिलाफ झूठ बोल रहे होते हैं.

मैं नहीं जानता कि मेरे कहने का क्या मतलब है. किसी के विचारों की सच्चाई शायद एक भावनात्मक चीज है. मैं नहीं जानता. मेरा मतलब है कि ठोस वस्तु की एक विशेष ध्वनि होती है. आप इसके खिलाफ हो सकते हैं, लेकिन यह आवाज की तरह लौट आने पर स्वयं को असली साबित/सिद्ध करती है.

आप क्या सोचते हैं कि सभी लेखक स्वयं पहचान लेते हैं कि जो आवाज वे सुन रहे हैं, वह असली है या नहीं?

नहीं, यह कहना मुश्किल है. लेकिन उसके पास एक वृत्ति होनी चाहिए, जो उसका मार्गदर्शन करे. जो उसे कहे, ‘‘मेरे प्रिय लड़के, मेरे प्रिय इंसान आप गिरने जा रहे हैं. आप इस क्षण से सावधान रहना.’’ और तब अगर वह इसे सुन लेता है तो उसे स्वयं को यह कहने के लिए किसी दवा की जरूरत नहीं पड़ती कि तुम सही क्यों हो, मेरे प्रिय, आप पूर्णतया सही नहीं हो.

***

‘द पेरिस रिव्यू’ (द आर्ट ऑफ पोएट्री-13) में प्रकाशित साक्षात्कार का थोड़ा संपादित प्रारूप. विपिन चौधरी हिंदी की सुपरिचित लेखिका और अनुवादक हैं. उनसे vipin.choudhary7@gmail.com पर बात की जा सकती है.

प्रतिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *