कविताएँ :: अभिजीत
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मेरे पास विदा का कोई समुचित वाक्य नहीं
कविताएँ :: पंकज प्रखर
इस संसार में सिर्फ़ देखे गए रंग ही फीके पड़ते हैं
कविताएँ :: सोमेश शुक्ल
पेड़ और पत्तों की सहमति से आता है पतझड़, पेड़ और पत्तों की सहमति से ही विदा लेता है
कविताएँ :: जितेंद्र सिंह
कविता लिखना दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को एक साथ एक ही बार में एक मुख़्तसर पत्र लिखने जैसा है
बिली कॉलिन्स की कविताएँ :: अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिवम तोमर
अगम्य अँधेरे में वह खड़ा है शांत
कविताएँ :: गोविंद निषाद