अनाइस नीन के कुछ उद्धरण ::
अनुवाद और प्रस्तुति : सरिता शर्मा

Anais Nin writer
अनाइस नीन, 21 फरवरी 1903-14 जनवरी 1977

अनाइस नीन प्रेरणादायक उद्धरणों की मल्लिका हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि वह कौन थीं. 1903 में फ्रांस में क्यूबाई माता-पिता के घर जन्मी अनाइस नीन 1940 के दशक में न्यूयॉर्क चली गईं. उन्होंने खुद को रचनात्मक और अपरिपक्व लेखक के रूप में जोर-शोर से स्थापित किया. उन्होंने अपनी कई डायरियों, निबंधों, कहानियों और काम-साहित्य में हेनरी मिलर और गोर विडाल सहित प्रसिद्ध लेखकों के साथ अपने प्रेम-सबंधों को उजागर किया.

अनाइस नीन के दशकों तक फैले हुए, निजी जीवन के विवरण इतने ईमानदार और मुखर हैं कि उस समय की कोई अन्य महिला लेखक ऐसा करने का साहस नहीं कर सकी थी. जीवन, प्रेम और तृप्ति के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण उनके बेबाक और सघन लेखन ने उन्हें देर से ही सही, लेकिन बीसवीं शताब्दी की एक महान लेखिका के रूप में मान्यता दिलाई.

कृष्ण बलदेव वैद अपनी डायरी ‘अब्र क्या चीज है? हवा क्या है?’ में अनाइस नीन के बारे में फरमाते हैं :

‘‘अनाइस नीन से पहले किसी औरत ने अंग्रेजी में इतना खुलकर और इतनी तफसील के साथ अपनी जज्बाती, नाफियाती, जिनसी जिंदगी के बारे में नहीं लिखा और अपने दोस्तों, आशिकों, पति, पिता को इतनी बारीकी से नहीं कुरेदा या टटोला. मर्दों में भी मिलर के अलावा किसी लेखक ने इतनी खूबसूरत दिलेरी नहीं दिखाई.

अनाइस नीन मर्दबाज औरत थी, उसी तरह जिस तरह हेनरी मिलर औरतबाज मर्द. दोनों आजाद इंसान थे. दोनों शादी के घेरे में बंद होकर नहीं रह सकते थे. इस लिहाज से वे एक-दूसरे के आदर्श थे. अनाइस को मर्दों को फांसने में मजा आता था— एक मर्द के बिस्तर से उठकर सीधे किसी दूसरे मर्द के बिस्तर में जा पड़ने की ख्वाहिश और उस ख्वाहिश को पूरा कर सकने का साहस. अपने पति ह्यूगो के जाम में नींद की गोली घोलकर अपने किसी आशिक के साथ रात गुजार देने का दिलेराना जोखिम. एक मर्द के वीर्य को अपने मुंह में या कहीं और रखकर दूसरे मर्द के वीर्य को पीने या निगलने में मजा लेना, अपने पति के सामने किसी दूसरे मर्द के साथ नाचते समय उसकी हुशियारी के स्पर्श का आनंद लेना, झूठ से अपनी हवस को हवा देना, झूठ को कामुक कुश्ते की तरह इस्तेमाल करना, मुक्त मैथुन, सामूहिक मैथुन, लेस्बियन लगाव, आशिक की बीवी को चांपना, और इस सबके साथ न सिर्फ लिखना बल्कि अपने आशिकों को भी लिखने की प्रेरणा देना, उन्हें मदद देना, उनके लिए कुर्बानियां करना— अनाइस वाकई तमाम दोषों के बावजूद एक बेमिसाल औरत थी.’’

अब पढ़िए अनाइस नीन के कुछ उद्धरण :

और वह दिन आया जब एक कली में फंसे रहने का जोखिम खिलने के जोखिम से ज्यादा दर्दनाक था.

हर एक दोस्त हमारे अंदर एक दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसी दुनिया जो शायद तब तक पैदा नहीं होती, जब तक वे पहुंच नहीं जाते हैं और बस इस मेल से ही नई दुनिया पैदा होती है.

हमारी संस्कृति ने सिर्फ मिलनसार होने को गुण बना दिया. हमने आंतरिक यात्रा, केंद्र के लिए खोज को हतोत्साहित कर दिया है. हमने अपनी जड़ को खो दिया है. उसे फिर से तलाश करना है.

लोगों को बचाया नहीं जा सकता है, उनसे सिर्फ प्यार किया जा सकता है.

अगर तुम खुद को सिर्फ संभव या उचित लगने वाली चीजों तक सीमित रखते हो, तो तुम खुद को उससे अलग कर लेते हो, जिसे तुम सच में चाहते हो और बाकी जो कुछ भी बचा है, वह समझौता है.

हम चीजों को वैसे नहीं देखते हैं, जैसी कि वे होती हैं, बल्कि उन्हें वैसे देखते हैं जैसे कि हम होते हैं.

जब भी हम ऐसा कुछ करते हैं जो हमारी इच्छा या आत्मा से जुड़ा हुआ नहीं होता है— वह कष्ट का कारण बनता है.

जीवन बनने की प्रक्रिया है, उन स्थितियों का संयोजन है जिनसे हमें गुजरना है. लोग तब असफल होते हैं, जब वे किसी स्थिति को चुनना चाहते हैं और उसमें रहते हैं. यह एक तरह की मौत है.

हम अन्य राज्यों, अन्य जिंदगियों, अन्य आत्माओं की तलाश में सफर करते हैं, हम में से कुछ लोग हमेशा भटकते रहते हैं.

दरअसल मैं सामान्य, औसत, आदर्श नहीं बनना चाहती हूं. मैं बस अपने जीवन को और पूर्णता से जीने, और अधिक आनंद लेने और अधिक अनुभव करने के लिए ज्यादा ताकत और साहस प्राप्त करना चाहती हूं. मैं और भी मौलिक और स्वच्छंद विलक्षणताएं विकसित करना चाहती हूं.

व्यग्रता प्रेम के लिए सबसे अधिक घातक है. इससे आप ऐसा महसूस करते मानो किसी डूबते हुए आदमी ने आपको पकड़ लिया है. आप उसे बचाना चाहते हैं, लेकिन आपको पता है कि वह अपनी घबराहट से आपका दम घोंट देगा.

अपने सपनों को अंतरिक्ष में पतंग की तरह फेंक दो, और तुम नहीं जानते कि वह वापस क्या लाएगा— नया जीवन, नया दोस्त, नया प्यार, या कोई नया देश.

गहराई से जिया गया व्यक्तिगत जीवन हमेशा उसके परे सच्चाइयों में फैल जाता है.

अगर मुझे इसे स्वीकार करना चुनना पड़े, तो मेरा लक्ष्य यह है कि मैं वास्तव में जो हूं उसे स्वीकार कर लूं. मैं अपने विचारों, अपने रंग-रूप, अपने गुणों, अपनी खामियों पर गर्व कर सकूं, और इस हमेशा की चिंता को रोक सकूं कि मैं जैसी हूं, मुझसे उसी रूप में प्यार नहीं किया जा सकता है.

जीवन को केवल वे लोग वास्तव में जानते हैं जो दुःख उठाते हैं, हार जाते हैं, विपत्ति सहन करते हैं और एक के बाद एक हार का सामना करते हैं.

हम जीवन का लुत्फ दो बार उठाने के लिए लिखते हैं, एक बार उस पल में और दूसरी बार उसके पुनरावलोकन में.

हम अबाध रूप से, कालक्रम से नहीं बढ़ते हैं. हम कभी-कभी असमान रूप से एक पहलू में आगे बढ़ते हैं, दूसरे में नहीं. हम थोड़ा-थोड़ा करके बढ़ते हैं. हम तुलनात्मक रूप से आगे बढ़ते हैं. हम एक क्षेत्र में परिपक्व हैं, दूसरे में बचकाने. अतीत, वर्तमान और भविष्य मिलकर हमें पीछे धकेलते हैं, आगे बढ़ाते हैं या हमें वर्तमान में स्थिर कर देते हैं. हम परतों, कोशिकाओं, ज्योति पुंजों से मिलकर बने हैं.

जीवन किसी के साहस के अनुरूप सिकुड़ता या फैलता है.

जीवन के लिए सपने जरूरी हैं.

मैं, मृत्यु को जिंदा रहकर, दुःख सहकर, गलतियां करके, जोखिम उठाकर, देकर, गंवाकर स्थगित करती हूं.

क्योंकि को मत खोजो— प्यार में कोई क्योंकि, कोई कारण, कोई स्पष्टीकरण, कोई समाधान नहीं है.

सपने कार्य की सच्चाई का भाग हो जाते हैं. कार्यों से फिर से सपने उपजते हैं, और यह परस्पर निर्भरता जीवन के उच्चतम रूप का निर्माण करती है.

आत्मनिरीक्षण खाने वाला दानव है. आपको इसे बहुत सारी सामग्री, बहुत सारे अनुभवों, अनेक लोगों, अनेक स्थानों, कई प्रेमों, कई रचनाओं का भक्षण कराना होगा, और तब यह आपको खाना बंद कर देता है.

बेहतरीन के लिए मेरी ललक इतनी ज्यादा है कि सिर्फ अद्भुत ही मुझे शक्तिशाली लगता है. कोई भी चीज, जिसे मैं अद्भुत में नहीं बदल सकती हूं, मैं उसे छोड़ देती हूं. असलियत मुझे प्रभावित नहीं करती है. मैं केवल उन्माद में, भावातिरेक में विश्वास करती हूं, और जब सामान्य जीवन मुझे रोकता है, तो मैं, इस तरफ या दूसरी तरफ पलायन कर जाती हूं. और दीवारें नहीं चाहिए.

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सरिता शर्मा सुपरिचित हिंदी लेखिका और अनुवादक हैं. उनसे sarita12aug@hotmail.com पर बात की जा सकती है. यहां प्रस्तुत उद्धरण हिंदी अनुवाद के लिए goalcast.com से चुने गए हैं.

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