जय गोस्वामी की कविताएं ::
बांग्ला से अनुवाद : निशांत

जय गोस्वामी

सोये हुए देवता

मैं लड़ाई में हारा हुआ
बगल के रास्ते पर पाता हूं आश्रय

खुले मैदान में है जंगल
मैं उस जगंल में अंधकार का वृक्ष हूं
स्पर्श करते हैं जन-जन
देखता हूं—
वृक्ष प्रतियोगिता में विश्वास नहीं रखते
यद्यपि योजन व्यापि जंगल में फैले हुए हैं मेघों से

उतरते हैं यात्रीहीन रथ

छिन्न मस्तक, भग्न चक्र, यात्रीहीन रथ

यात्रीहीन रथ जानते हैं
सभी खोये हुए रास्ते

दिशाहीन लेकिन खुली आंखों वाले यात्री भी जानते हैं
रास्तों के दोनों तरफ हैं खो जाने वाले रास्ते
रास्तों के आगे चलते हैं खो जाने वाले रास्ते

वय:संधि

रेशमी, उसके घर गई हैं लहरें
रेशमी, उसके घर के पास है पेड़
रेशमी, तुम्हारी सुनहली सहेली
रेशमी, कल है नाच की क्लास

रेशमी, आज किताबों वाला बस्ता कहां है
रेशमी, आज है स्कर्ट-ब्लाउज नीला
रेशमी, आज वापसी-रास्ते में है पेड़
रेशमी, छू आई हो आज आग?

रेशमी, अब आग लगना शुरू हुआ है
ये सब बातें किसी से कहना मत!

मृत्यु सब पढ़ लेती है

मनुष्य कितना कुछ पढ़ता है
मृत्यु के लिए पढ़ना

मेघ के पास मेघ आते हैं
हाथ के पास हथकड़ी

मनुष्य कितना कुछ तोड़ता है
दोस्त का घर तोड़कर गढ़ना

अपना घर — उसी घर में
पूरी पृथ्वी इकट्ठी करना

मनुष्य कितना कुछ पकड़ता है
स्त्री-पुरुष के लिए करना है मोल-भाव

एक क्षण की भूल के लिए
जीवन भर का पछतावा

मनुष्य कितना कुछ लिखता है
मृत्यु सब पढ़ लेती है

***

कविता के एक समर्पित कार्यकर्ता जय गोस्वामी की ये कविताएं साल 2000 में साहित्य अकादेमी से सम्मानित उनके कविता-संग्रह ‘पगली तेरे लिए’ से हैं. निशांत हिंदी के सुपरिचित कवि-लेखक-अनुवादक हैं. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़े हैं. इनकी कविताओं की दो किताबें प्रकाशित हैं. इन दिनों कोलकाता के आस-पास रह रहे हैं. इनसे nishant.bijay@gmail.com पर बात की जा सकती है. कवि की तस्वीरें ‘द डेली स्टार’ के सौजन्य से.

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