कविता :: राजुला शाह
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प्रार्थना-प्रलाप : मुझे छुओ भरपूर विस्मय से जैसे स्वस्थ काया को छूती हों व्याधियाँ
कविता :: कुशाग्र अद्वैत
‘एकता देश को बचाए रखती है’—जैसी बातें मतलब खो चुकी हैं
कविताएँ :: अमित तिवारी
मैं शाइर था लेकिन कहानी सुनाने का फ़न जानता था
अली अकबर नातिक़ की नज़्में :: लिप्यंतरण : मुमताज़ इक़बाल
मिडिल क्लास आदमी के पास सिर्फ़ फ़ेसबुक है
नज़्में :: तसनीफ़ हैदर
पसलियाँ चाक़ू से ऐसे सहमत हो सकती हैं
कविताएँ :: राजेश कमल