स्टीफेन क्रेन की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रचण्ड प्रवीर

स्टीफेन क्रेन

रेगिस्तान में

रेगिस्तान में
मैंने एक प्राणी को देखा, नंगा, जंगली,
जो ज़मीन पर उकडूँ बैठा था
अपने हाथों में दिल थामे
और उसे खाते हुए
मैंने पूछा, “दोस्त, अच्छा है क्या?”
“कड़वा है—कड़वा,” उसने उत्तर दिया :

“मगर मुझे पसंद है
“क्योंकि कड़वा है
“और क्योंकि दिल है मेरा।’’

मैंने एक आदमी को क्षितिज का पीछा करते देखा

मैंने एक आदमी को क्षितिज का पीछा करते देखा
चक्कर खाते वे तेज़ी से भागते
मैं इससे बड़ा परेशान हुआ
मैंने उस आदमी को टोका
“बेकार है ये”, मैंने कहा,
“तुमसे न हो पाएगा—”

“झूठ बोल रहे हो,” वह चिल्लाया,
और दौड़ता रहा।

एक आदमी आया एक बार

एक आदमी आया एक बार :
जिसने कहा :
“दुनिया के सारे आदमियों को क़तारों में क्रमबद्ध खड़ा कर दो।”
और उसी क्षण
भयंकर कोलाहल होने लगा जनता में
क़तार में लगने के विरुद्ध
और उसके बाद एक ज़ोरदार झगड़ा चला, पूरी दुनिया में।
सदियों तक चला यह सब;
उनके द्वारा जो क़तारों में नहीं खड़े होना चाहते थे
और उनके द्वारा जो पंक्तियों में खड़े होने को लालायित थे
और ख़ून बहाया गया।
अंतत: वह आदमी रोते-रोते मर गया।
और जो इस ख़ूनी हाथापाई में पड़े रहे
समझ नहीं पाए इस साफ़गोई को।

एक आदमी ने ब्रह्माण्ड से कहा

एक आदमी ने ब्रह्माण्ड से कहा,
“प्रभु, मैं हूँ।’’
“लेकिन”, ब्रह्माण्ड ने उत्तर दिया,
“यह तथ्य मेरे अंदर किसी
आभार-भाव को उत्पन्न नहीं कर सका है।’’

देखो, दुष्ट आदमी की क़ब्र को

देखो, दुष्ट आदमी की क़ब्र को
जिसके पास थी एक कठोर रूह
आई एक थकी-हारी नौकरानी बनफ़्शा लिए
पर रूह ने उसकी बाँह पकड़ ली।
“फूल मत चढ़ाओ,” उसने कहा।
नौकरानी रोने लगी :
“मैं उससे प्रेम करती थी।’’
पर त्योरियाँ चढ़ाए निष्ठुर रूह बोली :
“फूल मत चढ़ाओ।”

अब, बात यह है—
यदि रूह निष्पक्ष थी,
तो नौकरानी क्यों रोई?

स्वर्ग में

स्वर्ग में,
घास के कुछ नन्हे तिनके
ईश्वर के सामने खड़े थे।
“क्या किया तुमने?”
एक को छोड़कर सब तिनके
आतुरता से गिनाने लगे
अपने पुण्यों को।
एक मगर औरों से पीछे रहा
शर्मिंदा।
कुछ समय बाद ईश्वर ने पूछा :
“और तुम, तुमने क्या किया?”
नन्हा तिनका बोला, ‘‘हे ईश्वर,
मेरी याददाश्त रूठी हुई है मुझसे
यदि मैंने कोई पुण्य किया भी हो
मुझे उसके बारे में कुछ मालूम नहीं।’’
पूरे ऐश्वर्य में ईश्वर तब
अपने सिंहासन से खड़े हुए,
“सारे तिनकों में सबसे अच्छे हो तुम।’’ उन्होंने कहा।

स्टीफेन क्रेन (1871–1900) अल्पायु में दिवंगत अमेरिकी कवि-लेखक हैं। उनके रचनात्मक अवदान ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए poetryfoundation.org से ली गई हैं। प्रचण्ड प्रवीर हिंदी लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : यदि कवि कम उम्र में मर जाएँ

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