हैदर एरगुलेन की कविताएँ ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अविनाश

हैदर एरगुलेन │ तस्वीर सौजन्य : edebiyathaber

खुले वाक्य

कभी कभी लिफ़ाफ़े से कुछ भी ज़्यादा नहीं निकलता
न ही पत्र या फिर कोई एक वाक्य
कुछ भी नहीं रिसता—
न भोर
न ही किसी लंबे दिन की शाम
ऐसे पत्र दिन भर ढके ज़ख़्मों की तरह विचरते हैं
जो भी कोई उन्हें उघाड़ेगा,
जो भी कोई उन्हें छुएगा,
उसके हाथ भभक पड़ेंगे,
कभी-कभी शब्द रिक्तता में घुल जाते हैं
—शून्यता को पत्र—
कभी-कभी वाक्य ही पत्र को आग लगा देते हैं।

राख के भाई
सिवा के सैंतीस शहीदों के लिए

मैं यह पत्र सीधे तुम्हारे दिल को भेज रहा हूँ
इसे हाथ से नहीं, राख से लिखा है
क्योंकि मैं पहली बार तुम्हारा सुंदर नाम लिख रहा हूँ
मेरे भाई, मेरे राख के भाई
इस लिफ़ाफ़े पर बस हवा का पता दर्ज है
इस लंबी रात की सुलगती हवा में

तुम स्टाम्प से हल्के थे,
काग़ज़ से पतले,
किसी पत्र से तेज़
ये तुम्हारे अपने शब्द हैं—
अपनी राख से ज़्यादा भारी
जुलाई जली, कविता जली, भाषा जली
इस तरह जैसे तुम्हारी राख,
तुम्हारी स्मृतियों से ज्यादा दिन बची रहेगी
उनसे सुलग उठते हैं पत्र, लिफ़ाफ़े सुलगते, स्टाम्प सुलग रहे,
उन सबसे मेरी माँ जैसा एक लाल गुलाब सुलगता है।

हैदर एरगुलेन (जन्म : 1956) समकालीन तुर्की कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत कविताएँ अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए asymptotejournal.com से चुनी गई हैं। अविनाश हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे और परिचय के लिए यहाँ देखें : कूड़े के ढेर पर बैठा देव

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