होर्हे लुई बोर्हेस के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आदित्य शुक्ल

होर्हे लुई बोर्हेस

मृत्यु (या उसका भ्रम) मनुष्य को मूल्यवान और दयनीय बनाता है।

मैं ही होमर था; कुछ देर में मैं कोई नहीं हो जाऊँगा, यूलिसिस की तरह; कुछ देर में मैं समस्त मनुष्य हो जाऊँगा; मैं मर जाऊँगा।

ऐसे भी लोग हैं जो स्त्री के प्रेम की इच्छा रखते हैं ताकि उसे भूल सकें, ताकि उसका ख़याल उनके मन में और न आए।

दुष्ट नहीं होना एक शैतानी घमंड है।

यह घर संसार जितना बड़ा है या यूँ कहें कि यही संसार है।

किसी धर्म के लिए मृत्यु का वरण करना उसके लिए जीने से कहीं अधिक आसान है।

बहुत पहले ही मैं यह समझ गया था कि इस पृथ्वी पर ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जिसमें संभावित नर्क के बीज न हों; एक चेहरा, एक शब्द, एक कम्पास या एक सिगरेट का विज्ञापन, जैसी चीज़ें मनुष्य को पागल बनाने में सक्षम हैं; अगर वह उन्हें भूल नहीं पाए।

स्वर्ग अस्तित्वमान रहे, भले ही हमारी जगह नर्क में हो।

मेरी देह को भय होगा, मुझे नहीं।

अगर कविता का उद्देश्य आश्चर्यचकित करना हो तो इसका जीवन-काल शताब्दियों में नहीं मापा जाएगा, बल्कि दिनों और घंटों में मापा जाएगा या शायद मिनटों में मापा जाए।

मैं उस घटना का ‘मैं’ नहीं हूँ; फिर भी शायद मुझे याद हो क्या हुआ था वहाँ, शायद मैं बयान भी कर सकूँ। मैं फिर भी, अधूरा बोर्हेस हूँ।

टेनिसन ने एक बार कहा था कि अगर हम एक फूल को भी समझ सकें, हम यह जान सकेंगे कि हम कौन हैं और यह विश्व क्या है। शायद वह यह कहना चाहते थे कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है, चाहे कितना ही महत्त्वहीन क्यों न हो, जो ख़ुद में ब्रह्मांडीय इतिहास न समेटे हो और कारण व प्रभाव की अंतहीन कड़ियाँ न जोड़ता हो। शायद वह यह कहना चाहते हों कि दृश्य विश्व सारे लक्षणों में अंतर्निहित है, जैसा कि शोपेनहावर कहते हैं कि इच्छा सारी विषयवस्तु में अंतर्निहित है।

संभव है कि ब्रह्मांड का इतिहास कुछ चुनिंदा रूपकों का इतिहास हो।

अरस्तू आदम का अवशेष थे और एथेंस स्वर्ग का भग्नावशेष।

प्रकृति अंतहीन है जिसका केंद्र हर जगह है और जिसकी परिधि कहीं नहीं है।

यह तथ्य है कि सभी लेखक अपने पूर्ववर्तियों की सृष्टि करते हैं।

विश्व की यांत्रिकी जानवर की सरलता के आगे काफ़ी जटिल है।

सही मायनों में किसी चीज़ को देखने के लिए पहले उसे समझना होगा। अगर हम विश्व को सही मायनों में देख पाते तो शायद उसे समझ भी पाते।

एक कविता तब महानता अर्जित करती है : जब हमें उसमें हमारी इच्छाओं, चाहतों को शब्द मिल रहे होते हैं; न कि जब वह किसी घटना का दृष्टांत कर रही हो।

जब मैं युवा था : मैं सूर्यास्त, झोपड़पट्टियों और दुर्भाग्य की ओर आकर्षित होता था और अब मैं शहर के बीचोंबीच की सुबह और शांति की ओर आकर्षित होता हूँ। अब मैं हैमलेट नहीं बनता।

शब्द संकेत चिह्न हैं जो साझा स्मृतियों को बयान करते हैं।

मैं जिन शब्दों को बोलते हुए उठा वे मुझे समझ नहीं आए। वे शब्द कविता थे।

समय बीतने के साथ लोग अपने शत्रुओं जैसे हो जाते हैं।

हमारे लिए कुछ और नहीं सिर्फ़ उद्धरण बचे हैं। हमारी भाषा उद्धरणों का एक तंत्र है।

सारे लेखक आज नहीं तो कल अपने ख़ुद के सबसे बुद्धू शिष्य बनकर रह जाते हैं।

जब मनुष्य एक निश्चित उम्र में पहुँच जाता है तो वह किसी भी चीज़ का दिखावा कर सकता है, लेकिन प्रसन्नता का नहीं।

प्रसिद्धि नासमझी है या शायद उससे भी बुरी चीज़।

मनुष्य नवीनता और रेगिस्तान से घृणा करता है।

हम यथार्थ को आसानी से स्वीकार शायद इसलिए कर पाते हैं कि क्योंकि हम जानते हैं कि कुछ भी वास्तविक नहीं है।

जब अंत आता है तब दृश्यों की स्मृति नहीं बचती, सिर्फ़ शब्द बचते हैं।

सारे रास्ते व्यर्थ थे, सारे रास्ते मुझे शेक्सपियर की तऱफ ले जाते थे।

दर्पण और संभोग घिनौने होते हैं, क्योंकि वे मनुष्यों की संख्या में वृद्धि करते हैं।

वे सभी मनुष्य जो शेक्सपियर के साहित्य से एक भी पंक्ति दुहराते हैं, शेक्सपियर हैं।

आप, जो मेरा लिखा पढ़ रहे हैं, क्या आप निश्चित हैं कि आप मेरी भाषा समझते हैं?

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होर्हे लुई बोर्हेस (1899-1986) संसारप्रसिद्ध स्पैनिश लेखक हैं। उनके यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए ‘कलेक्टेड फ़िक्शंस’ और ‘द टोटल लाइब्रेरी’ शीर्षक उनकी पुस्तकों से चुने गए हैं। यह प्रस्तुति ‘सदानीरा’ के 23वें अंक में पूर्व-प्रकाशित है। आदित्य शुक्ल हिंदी कवि-अनुवादक-गद्यकार हैं। ‘सदानीरा’ पर समय-समय पर संसारप्रसिद्ध रचनाकारों, कलाकारों और विचारकों के उद्धरण प्रकाशित होते रहे हैं, उनसे गुज़रने के लिए यहाँ देखें : उद्धरण

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