जे. एम. कोएट्ज़ी के कुछ उद्धरण ::
अँग्रेज़ी से अनुवाद : आदित्य शुक्ल

जे. एम. कोएट्ज़ी

कला सिर्फ़ और सिर्फ़ अभाव, चाहत और अकेलेपन से नहीं रची जाती है; रचना के लिए घनिष्ठता, जुनून और प्रेम भी ज़रूरी है।

कलाकारों के लिए यह आवश्यक नहीं कि वे नैतिक रूप से बहुप्रसंशित हो। सिर्फ़ यही महत्त्वपूर्ण है कि वे महान कला का सृजन करें।

क्या मानसिक भंगुरता की कगार पर खड़े होना पागलपन की कगार पर खड़े होने से भी अधिक बुरी चीज़ है?

टी. एस. एलियट बैंक में काम करते थे। वालेस स्टीवंस और फ़्रांत्स काफ़्का बीमा कंपनियों में काम करते थे। अपने अनोखे तरीक़े से स्टीवेंस या काफ़्का ने, पो या रैम्बो से कम दुःखदायी जीवन नहीं जिया। एलियट, स्टीवेंस या काफ़्का में से किसी को भी अपना आदर्श चुनने में कोई अपमान जैसी बात नहीं है। अगर आपने उन्हीं की तरह काले रंग का सूट पहनने का निश्चय किया है तो पहनिए, दहकते अंगारों जैसे शर्ट पहनिए, किसी का उत्पीड़न मत कीजिए, किसी को धोखा मत दीजिए और अपने रास्ते चलिए। रोमांटिक युग में बहुतेरे कलाकार पागल हुए थे।

अपनी डायरी में एलियट ने एक जगह लिखा है— ‘‘कविता भावनाओं का ज्वार नहीं बल्कि भावनाओं से पलायन है। कविता व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि व्यक्तित्व से पलायन है।’’ बाद आगे उन्होंने एक कड़वा प्रतिविचार भी जोड़ा है—‘‘लेकिन सिर्फ़ वे ही जिनका कोई व्यक्तित्व है या जिनके पास भावनाएँ हैं, जानते हैं कि इनसे पलायन करने का मतलब क्या होता है।’’

रिल्के के शब्दों में—हम जिसे सौंदर्य कहते हैं, वह आतंक का पहला संकेत है।

बस यही महत्त्वपूर्ण है कि न्याय हो, बाक़ी सब राजनीति है जिसमें मेरी कोई रुचि नहीं।

कभी-कभी ऐसा लगता है मानो उसकी परीक्षा सिर्फ़ परीक्षा लिए जाने के लिए ली जा रही हो, यह देखने के लिए कि वह यह परीक्षा उत्तीर्ण कर पाएगा या नहीं।

कलाकार, ज्ञात इतिहास में हमेशा ही वेश्याओं के पास जाते रहे हैं, और वे इससे अधिक बुरे नहीं हो सकते; अपने अध्ययन से वह इतना तो जानता ही है। असल में, कलाकार और वेश्याएँ सामाजिक युद्ध में हमेशा समान पक्ष में खड़े पाए जाते हैं।

अगर पीड़ा से कविता नहीं आती तो और कहाँ से कविता आती है, जैसे पत्थर को निचोड़कर ख़ून निकाला जाता है!

क्या संभोग से ही हर चीज़ को तौला जाता है? अगर वह संभोग में असफल हो गया तो क्या यह उसके संपूर्ण जीवन की असफलता होगी? अगर यह सच नहीं होता तो जीवन आसान होता। लेकिन जब वह अपने आस-पास देखता है तो उसे ऐसा कोई भी नहीं दिखाई देता जो संभोग नाम के ईश्वर के आगे नतमस्तक न हो, सिवाय लुप्त डायनासोरों और विक्टोरियन युग के ध्वंसावशेषों को छोड़कर, यहाँ तक कि हेनरी जेम्स जो विक्टोरियन युग के लेखक हैं, ने बहुत चालाकी से कई पन्ने भरकर यह इशारा किया है कि अंततः संभोग ही सब कुछ है।

मैं किसी ‘हम’ का हिस्सा नहीं हूँ।

सिर्फ़ पीड़ा ही सच है, बाक़ी हर चीज़ पर संदेह किया जा सकता है।

साम्राज्य यह नहीं चाहता कि उसके नौकर एक-दूसरे से प्रेम करें, वह सिर्फ़ यह चाहता है कि वे अपने कर्त्तव्य का निर्वाह करें।

अगर कभी कोई अमेरिका की आलोचना करता भी है तो दबी ज़ुबान से करता है।

प्रतिशोध आग की तरह होता है, वह जितना निगलता जाता है, उतना ही उसकी भूख बढ़ती जाती है।

युद्ध का मतलब है लोगों पर ऐसी स्थितियाँ थोपना, जिन्हें यदि उन पर पूरी तरह छोड़ दिया जाए तो वे युद्ध का चुनाव नहीं करेंगे।

●●●

वर्ष 2003 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जे. एम. कोएट्ज़ी (जन्म : 9 फ़रवरी 1940) जीवितों के संसार में महानता का स्पर्श कर चुके हैं। यहाँ प्रस्तुत उद्धरण अँग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद के लिए उनके उपन्यासों (‘यूथ’ और ‘वेटिंग फ़ॉर बार्बेरियंस’) से चुने गए हैं। आदित्य शुक्ल हिंदी कवि-लेखक और अनुवादक हैं। उनसे shuklaaditya48@gmail.com पर बात की जा सकती है। ‘सदानीरा’ पर समय-समय पर संसारप्रसिद्ध रचनाकारों, कलाकारों और विचारकों के उद्धरण प्रकाशित होते रहे हैं, उनसे गुज़रने के लिए यहाँ देखें : उद्धरण

1 Comment

  1. dr gunjan upadhaya pathak मार्च 30, 2020 at 5:42 पूर्वाह्न

    पढ़कर अच्छा लगता हैं कुछ नया जानने को ;

    Reply

प्रतिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *