कवितावार में सुल्ली प्रुदोम की कविता ::
फ़्रेंच से अनुवाद : रीनू तलवाड़

सुल्ली प्रुदोम

टूटा फूलदान

वह फूलदान मुरझा रहा है जिसमें वर्बीना
हाथ पंखे से लग कर टूटा था;
हालाँकि हाथ पंखे ने छुआ भर होगा :
क्योंकि कोई आवाज़ न हुई।

मगर वह हल्की-सी चोट हर रोज़,
भीतर ही भीतर मणिभ को तोड़ती रही,
फिरती रही हर ओर चुपचाप
टूटने की पदचाप।

बूँद-बूँद रिसता रहा उसमें से जल,
सूख गया रस फूलों का;
अब किसी को कोई संदेह नहीं रहा;
इसे छूना मत, टूट गया है।

बहुधा यूँ ही वह हाथ जिसे प्रेम करते हैं हम,
मन को हल्के से खरोंचता, पहुँचा जाता है ठेस;
स्वयं ही दरक जाता है फिर मन,
उसमें सजा प्रेम का फूल मुरझा जाता है;

संसार की दृष्टि में अब भी अक्षत,
भीतर ही भीतर अपने सू्क्ष्म और गह्वर
घाव को फैलता, रिसता पाता है;
टूट गया है, इसे छूना मत।

René-François Sully Prudhomme, Stances et poèmes, 1865

रने-फ़्रोंसोआ सुल्ली प्रुदोम (1839–1907) प्रसिद्ध फ़्रेंच कवि-निबंधकार हैं। उन्हें वर्ष 1901 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रीनू तलवाड़ से परिचय के लिए यहाँ देखें : मैं साहस तलाशती हूँ

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