जयंत महापात्र की कविताएँ :: अनुवाद और प्रस्तुति : शिवम तोमर
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एक मुट्ठी जुगनुओं का प्रकाश लेकर ख़ाली मैदान में जादू दिखा रहा है अंधकार
पूर्णेंदु पत्री की कविताएँ :: बांग्ला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा
रात में प्रेम चढ़ जाता है चाँद पर और उछाल देता है मछलियाँ पानी के आसमान में
कविताएँ :: सुजाता गुप्ता
रूखे मौन के आवरण से ढक लिया अपना आप
प्रोमिला मन्हास की कविताएँ :: डोगरी से अनुवाद : कमल जीत चौधरी
जन्म के वक़्त मैं रोई थी किस भाषा में अब याद नहीं, पर वही थी शायद मेरी भाषा
कविताएँ :: मनीषा जोषी
मेरे पास विदा का कोई समुचित वाक्य नहीं
कविताएँ :: पंकज प्रखर